टेलीफोन का आविष्कार किसने किया | Telephone ka Avishkar kisne kiya

हेलो दोस्तों, हमारे इस आर्टिकल में हम आपको टेलीफोन से जुडी जानकारियां देंगे। क्या आपने टेलीफोन का इस्तेमाल किया है? भले ही हम, आज के दौर में टेलीफोन का इस्तेमाल कम ही करते है लेकिन 19वि सदी के लिए यह एक वरदान से कम नहीं था । हम आप को इस आर्टिकल मे बताने वाले है टेलीफोन का आविष्कार किसने किया
हमारे इस आधुनिक दौर में मोबाइल फ़ोन्स ने भले ही टेलीफोन की जगह ले ली हो, लेकिन टेलीफोन न होता तो मोबाइल का भी अविष्कार होना असंभव था। टेलीफोन यह आज के समय में भी काफी जगहों पर इस्तेमाल हो रहा है जैसे- सरकारी दफ्तर , ऑफिसेस , कंपनियां , स्कूल्ज , कॉलेजेस आदि।
आदिकालीन संचार कैसे होती थी ?
टेलीफोन का आविष्कार के पहले लोग चिट्ठियां लिखकर लोग दूरसंचार करते थे। डाकघर के जरिये लिखे हुए चिट्ठियों को दिए हुए एड्रेस पे पहुंचाया जाता था। चीठी लिखने की प्रथा 1000 साल पुराणी थी, लेकिन अगर कोई अपना बाहर के देश में रहता हो तो चिट्ठी द्वारा सन्देश पहुँचाने में काफी समय लग जाता था। अगर आपको कोई जरुरी सुचना पहुंचना हो, तो उसके लिए भी आपको दो दिन तक इंतज़ार करना पड़ता था और इस कारण अपने प्रियजन से बात भी नहीं कर पाते थे। हम लिखकर अपने प्रियजन को अपनी भावनाए भी जाहिर नहीं कर पाते थे। बस इसी कमी को पूरा किया गया टेलीफोन ने।
टेलीफोन क्या है
टेलीफोन को हम हिंदी में दूरसंचार कहते है। इस यन्त्र से हम दूरसंचार कर सकते है यानि एक देश के एक कोने में बैठकर दूसरे कोने में अपने दोस्तों से बातें कर सकते है। इस यन्त्र में एक प्रेषित्र यानि ट्रांसमीटर सिग्नल्स और एक ग्राही यानि रिसीवर सिग्नल एक डब्बे में रखा जाता है जिससे आतंरिक इलेक्ट्रॉनिक सिग्नल्स दुर्वांष होता है
टेलीफोन कैसे काम करता है
जैसे की आपको हमने बताया टेलीफोन के दो भाग होते है पहला होता है ट्रांसमीटर जहाँ पर ऊपर की तरफ माइक को रखा जाता है। हम जब टेलीफोन डायल करते है, ऊपर स्थित माइक के जरिये बोलते है। बोलते ही ट्रांसमीटर द्वारा बिजली के तरंगो यानि सिग्नल्स तैयार होते है । इसी प्रकार रिसीवर के तरफ डायफ्रम लगा होता है, जो इन ट्रान्स्मित्टर सिग्नल्स से टकराकर ध्वनि पैदा करते है। बिजली के तेज प्रवाह से सिग्नल्स द्वारा हम रिसीवर के ऊपरी भाग में लगे माइक से आवाज़ सुन पाते है।
टेलीफोन का आविष्कार किसने किया
19वि सदी के काल को पूरी तरह से बदलने वाला यन्त्र टेलीफोन का निर्माण साल 1871 में किया गया। टेलीफोन का आविष्कार किया प्रसिद्द वैज्ञानिक एलेग्जेंडर ग्राहम बेल्ल ने साल 1876, 7 मार्च को ग्रैहम बेल्ल ने टेलीफोन का पेटेंट अपने नाम कराया। एलेग्जेंडर अपने इस डिज़ाइन को संचारित करने के लिए काफी सालों से कोशिश कर रहे थे, तभी उन्होंने उनके साथी प्रसिद्द वैज्ञानिक थॉमस वाटसन ने उन्हें अपने प्रयोग में इस्तेमाल किया हुआ रिसीवर की मदद ली। इस रिसीवर के प्रयोग से उन्होंने जाना की एक साधारण सा रिसीवर बिजली को ध्वनि में बदल सकता है। इसे प्रयोग करके उन्होंने टेलीफोन बनवाया और सबसे पहला फ़ोन अपने दोस्त वाटसन को लगाया और कहाँ “मि “! वाटसन , यहाँ आओं” यह प्रसिद्द व्याख्या पहली बार टेलीफोन में कहाँ गया
एलेग्जेंडर ग्रैहम बेल्ल का बचपन ?
एलेग्जेंडर ग्रैहम बेल्ल का जन्म साल साल 1874, 3 मार्च को स्कॉटलैंड शहर में हुआ था। ग्रहमबेल बचपन से ही ध्वनि विज्ञानं में काफी तेजस्बी रखते थे, इसलिए विज्ञानं क्षेत्र में उन्होंने दुनिया को काफी अविष्कार प्रदान किये है। उनके पिता एक प्रोफेसर थे और माता एक म्यूजिक टीचर थी, लेकिन उनकी माता बहरेपन होने के बावजूद गायन , कविता क्षेत्र में काफी रूचि रखती थी। ग्रैहम बेल्ल अपनी माँ के काफी करीब थे और अपनी माँ के बहरेपन की वजह से उन्हें ध्वनि विज्ञानं में काफी रूचि आई। 16 साल की उम्र में ही ग्रैहम बेल्ल एक म्यूजिक टीचर के रूप में मशहूर हुए।
एलेग्जेंडर ग्रैहम बेल्ल के आविष्कार
- ऑडिओमीटर – इस यन्त्र की खोज उन्होंने यांतो में हो रही आवाज़ यानि साउंड प्रोब्लेम्स को सुलझाने के लिए बनाई।
- मेटल डिटेक्टर – इस यन्त्र के माध्यम से धातु की खोज लगाईं जा सकती है।
- टेलीग्राफ कंपनी – टेलीफोन के अविष्कार के बाद उन्होंने टेलीग्राफ कंपनी का निर्माण किया।
- उन्होंने पहला फोटोफोन बनाया , जो एक वायरलेस टेलीफोन था।
- हयड्रोफोइल बनाने में भी उन्होंने काफी प्रयोग किया।
क्या सच में ग्रैहम बेल्ल ने टेलीफोन का अविष्कार किया
एलेग्जेंडर ग्रैहम बेल्ल के अलावा दो और वैज्ञानिक थे जिन्होंने टेलीफोन के आविष्कार के लिए जान लगा दी – यह दोनों है अंटोनिओ मियुकी और अमोस डॉल्बेयर।
साल 1854 में, अनोनिओ मियुकी ने वौइस् कम्युनिकेटिंग यन्त्र की खोज की, यह यन्त्र का नाम उन्होंने टेलेटरोफोनो नाम रखा। यह आविष्कार तो उन्होंने बनाई लेकिन पेटेंट अपने नाम नहीं कर पाए। उसी प्रकार अमोस डॉल्बेयर ने साउंड वेव्स और इलेक्ट्रिकल इम्पुल्सेस के प्रयोग से यन्त्र बनाई लेकिन यह भी पेटेंट अपने नाम नहीं करा पाए। यही कारण एलेग्जेंडर ग्रैहम बेल्ल ने टेलीफोन का पेटेंट अपने नाम करा पाए इसलिए इन्हे टेलीफोन का मुलजनक कहाँ गया है।
टेलीफोन उठाते ही हम हेलो क्यों बोलते है
ग्रैहम बेल्ल ने ही टेलीफोन में हेलो बोलने का सम्बोधन किया। चलिए हम हेलो बोलने के पीछे का रहस्य आपको बताते है। ग्रैहम बेल्ल की प्रियसी का नाम मार्गरेट हेलो था। जब ग्रैहम बेल्ल ने टेलीफोन का आविष्कार किया तो उन्होंने एक और टेलीफोन अपनी गर्लफ्रेंड के लिए बनाया ताकि वो उनसे बात कर सके। जब टेलीफोन उस ज़माने में काफी चर्चित हुआ तो ग्रैहम बेल्ल ने एक टेलीफोन अपने प्रियसी को दे दी और जब पहली बार उन्होंने उनकी गर्लफ्रेंड को कॉल किया तो उनके मुँह से पहला शब्द निकला “हेलो । बस वो जभी मार्गेरेट हेलो को फ़ोन करते तो हेलो करके बुलाते , बस यही से हेलो शब्द प्रचलित हो गया।
टेलीफोन का आविष्कार में प्रवृत्ति
संयुक्त राज्य के बाहर पहला एक्सचेंज ऑफिस का निर्माण साल 1879 में शहर लंदन में हुआ। इस एक्सचेंज में कुछ ऑपरेटर्स बड़े स्विचबोर्ड पर एक ऑपरेटर्स का समूह काम कर रहा था। इस एक्सचेंज ऑफिस के ऑपरेटर्स इनकमिंग कॉल्स का जवाब देंगे जो भी पार्टी उन्हें कॉल करेगी। इसके बाद कई वैज्ञानिकों ने टेलीफोन में कई बदलाव लाकर कई प्रकार के टेलीफोन बनाए ।
पाय टेलीफोन
साल 1889 में सिक्का संचालित टेलीफोन का आविष्कार किया गया विलियम ग्रे नामक वैज्ञानिक ने किया
रोटरी डायल टेलीफोन
यह टेलीफोन का आविष्कार साल 1923 में फ्रांस शहर में अंटोनी बार्ने नामक वैज्ञानिक ने बनवाया था
मोबाइल टेलीफोन
बेल्ल टेलीफोन कंपनी ने साल 1924 में मोबाइल टेलीफोन का आविष्कार किया। साल 1946 में सेंट लुइस शहर में पहली टेलीफोन सेवा व्यवसाइक रूप में उपलब्ध हुई।
टच टोन सिस्टम
एम् दी बाल्टिमोर में पहला टच टोन सिस्टम साल 1941 में स्थापित किया गया। इन फ़ोन्स में कुछ विशेषताए बदली गई जहां रोटरी डायल द्वारा जनरेटेड पल्सेस के जगह वोकल फ्रीक्वेंसी रेंज में टोन का उपयोग किया गया था।
पिक्चरफोन
साल 1956 में सबसे पहला पिक्टूरेफोने बनाया गया जिसमे फोटो लेने की टेक्नोलॉजी शामिल थिए ।
सेल फ़ोन
साल 1978 में अमेरिकी टेलीफोन कंपनी और टेलीग्राफ बेल्ल लबोरटरी ने मिलकर सल्लुलालर टेलीफोन का निर्माण किया।
आप ने क्या सिखा
हमारे इस आर्टिकल में हमारे सात अंत तक जुड़ने के लिए शुक्रिया। हमें आशा है की आपको हमारे इस आर्टिकल से काफी जानकारी हासिल हुई होगी और हम यह आशा करते है की आप हमारे आनेवाले हर आर्टिकल के साथ ऐसे ही जुड़े रहिये। इसी तरह हम नए नए जानकारियां आप तक इस आर्टिकल्स के द्वारा पहुंचाते रहेंगे।