रवीश कुमार का जीवन परिचय | Ravish Kumar Biography in Hindi

सीनियर पत्रकार रवीश कुमार ने एनडीटीवी न्यूज़ चैनल से अपना इस्तीफ़ा दे दिया है | रविश कुमार से एक दिन पहले प्रणय रॉय और उनकी पत्नी राधिका रॉय ने एनडीटीवी ग्रुप से इस्तीफा दे दिया था।
एनडीटीवी की प्रेसिडेंट सुपर्णा सिंह ने कहा, “कुछ ही ऐसे पत्रकार हैं, जिन्होंने रविश कुमार जितना प्रभाव लोगों पर छोड़ा हैं । उनके बारे में लोगों की प्रतिक्रियाओं के ढेर में; भीड़ में उनके लिए जुटने वालेकई लोग, भारत और अंतरराष्ट्रीय स्तर के उनको मिले प्रसिद्ध पुरस्कारों और पहचान; और अपनी दैनिक रिपोर्ट में, जो हर उस व्यक्ति के बारे में बताता है और उनके अधिकारों और जरूरतों को पूरा करता है जो सेवा से वंचित हैं, में यह स्पस्ट दिखाई देता है।”
Ravish Kumar Biography in Hindi
पूरा नाम (Real Name) | रविश कुमार पांडेय |
व्यवसाय (Profession) | टीवी ऐंकर, पत्रकारिता, लेखक |
पिता (Father) | नाम ज्ञात नहीं |
माता (Mother) | नाम ज्ञात नहीं |
भाई (Brother) | बृजेश कुमार पांडेय |
बहन (sister) | ज्ञात नहीं |
सम्बंधित (Associated With) | एनडीटीवी इंडिया (वर्ष 1996) |
पद (Designation) | एनडीटीवी इंडिया में वरिष्ठ कार्यकारी संपादक |
प्रसिद्ध शो (Famous Shows) | एनडीटीवी इंडिया पर रवीश की रिपोर्ट एनडीटीवी इंडिया पर हम लोग एनडीटीवी इंडिया पर प्राइम टाइम |
1988 में डाली थी NDTV न्यूज़ चैनल की नींव
प्रणय रॉय और राधिका रॉय ने एनडीटीवी न्यूज़ चैनल की नींव 1988 में रखी थी। शुरु में प्रणय रॉय दूरदर्शन चैनल पर ‘द वर्ल्ड दिस वीक’ नाम का एक कार्यक्रम लेकर आते थे, जिस कार्यक्रम को उन दिनों काफ़ी लोकप्रियता हासिल हुई थीं |
इसके करीब 11 साल बाद उन्होंने स्टार न्यूज के साथ मिलकर देश के सबसे पहले 24 घंटे के न्यूज चैनल को शुरू किया । उन दिनों एनडीटीवी न्यूज़ चैनल, स्टार न्यूज चैनल के लिए प्रोडक्शन का काम किया करता था ।
उस समय बीबीसी का 80 प्रतिशत कंटेंट भी एनडीटीवी न्यूज़ ही तैयार करता था। कुछ समय बाद दोनों न्यूज़ चैनल अलग हो गए ।
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रवीश कुमार को मिला हैं एक्सीलेंस इन जर्नलिज्म अवार्ड
रवीश कुमार के जाने की घोषणा करते हुए, एनडीटीवी चैनल ने एक आंतरिक मेल में कहा कि रविश कुमार का इस्तीफा तत्काल रूप से प्रभावी है। इसका मतलब यह है कि अब रवीश कुमार एनडीटीवी न्यूज़ चैनल के लिए शो नहीं करेंगे । रवीश कुमार को उनकी पत्रकारिता के लिए पसिद्ध दो बार रामनाथ गोयनका एक्सीलेंस इन जर्नलिज्म अवार्ड सम्मानित किया गया और उसके बाद रेमन मैग्सेसे अवार्ड से भी सम्मानित किया जा चुका है।
बिहार के छोटे से गांव से हैं रवीश
रवीश कुमार का जन्म 5 दिसम्बर 1974 को बिहार में स्थित जिला चंपारन के एक छोटे से गांव मोतिहारी के जितवारपुर में हुआ था। रवीश कुमार की शुरुआत की शिक्षा लोयोला हाई स्कूल, पटना से हुई है । इसके बाद रवीश उच्च शिक्षा को प्राप्त करने के लिए दिल्ली आए। उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक और बाद में भारतीय जन संचार संस्थान से पत्रकारिता में उच्च शिक्षा प्राप्त किया।
मोदी सरकार के प्रसिद्ध आलोचक हैं रविश
रविश कुमार को देश में मोदी सरकार के प्रसिद्ध आलोचक के तौर पर पहचाना जाता है। रविश कुमार अपने प्राइम शो के दौरान सबसे ज्यादा मोदी सरकार और बीजेपी पर टिप्पड़िया करते दिखाई देते हैं । पत्रकार के विरोधी दलों को इस बात की सबसे ज्यादा शिकायत है कि वह बीजेपी और मोदी सरकार के अलावा किसी सियासी दल और सरकार के खिलाफ आलोचना का रुख नहीं रखते हैं। रविश कुमार ने मोदी सरकार की तारीफ करने वाले मीडिया संस्थानों को गोदी मीडिया का नाम दिया है । रविश की इन्हीं आलोचनाओं की वजह से भी वह सोशल मीडिया में आए दिन आलोचना का शिकार होते रहते हैं।
लोगों के रिएक्शन
लेखक अशोक कुमार पांडे बताते हैं कि – ख़बर आ रही है कि भाई रवीश कुमार ने एनडीटीवी न्यूज़ चैनल से इस्तीफ़ा दे दिया है । इस बात मैं कोई संदेह नहीं की अड़ानी की टीम के साथ काम करना उनके लिए अपमानजनक ही होता। लेकिन चुप रहना भी कायरों का काम है, तो रवीश को तो ‘बोलना ही है।’ उनका यूट्यूब चैनल भी आ ही चुका है।अब शायद वह और भी खुलकर बात कर सकें। मैं तो यही कहूंगा कि उनको यह – आज़ादी मुबारक।
पत्रकार निगार परवीन ने कमेंट करते हुए कहा की, “टीवी पत्रकारिता में एक युग का अंत! आज रवीश कुमार ने भी एनडीटीवी न्यूज़ चैनल को अलविदा कह दिया । आज गोदी मीडिया में चारों तरफ़ खुशी की लहर दौड़ रही होगी। लेकिन इनको यह नहीं पता कि बारी इनकी भी आएगी। नफरत के इस कारोबार में पत्रकारिता को भारी नुकसान होने वाला है, लेकिन अच्छा फैसला है । रवीश जी की पत्रकारिता को मेरा सलाम।” एनडीटीवी न्यूज़ चैनल के पत्रकार रवीश रंजन शुक्ला ने रवीश कुमार के एक बयान का भी जिक्र किया है । जिसमें रवीश कुमार ने कहा था कि मैदान में हर लड़ाई जीतने के लिए नहीं लड़ी जाती है, कुछ लड़ाइयां इसलिए लड़ी जाती हैं ताकि लोगों को यह पता रहे कि कोई था जो उनके लिए मैदान में खड़ा था।