नेल्सन मंडेला का जीवन परिचय | Nelson Mandela Biography in Hindi

नमस्ते दोस्तों , हमारे Hindi Top वेबसाइट पर आप सभी का स्वागत करते है। आज हमारे पोस्ट में हम आपको “नेल्सन मंडेला का जीवन परिचय (Nelson Mandela Biography in Hindi )” के विषय में आपको जानकारी बताएंगे। क्या आप नेल्सन मंडेला कौन हे ? यह जानते है और उनके देश के बारे में आपको कोई खबर है। अगर नहीं तो आप सही पोस्ट पढ़ने आए है। इनके बारे में आपने कही न कही जैसे अखबार, सोशल मीडिया में कही तो पढ़ा होगा लेकिन इनके बारे में ज्यादा जानकारी हम बताएंगे इस पोस्ट के जरिये।
Nelson Mandela Biography in Hindi
नेल्सन मंडेला के बारे में निचे कुछ जानकारी दी गई है |
बिंदु (Points) | जानकारी (Information) |
पूरा नाम ( Full Name ) | नेल्सन मंडेला |
असल नाम (Real name) | रोलीह्लला मंडेला |
पिता ( Father Name ) | गडला हेनरी मफाकनीस्वा |
माता ( Mother Name ) | नोसेकेनी फैनी |
जन्म दिनांक (Birth) | 18 जुलाई 1918 |
मृत्यु (Death) | 5 दिसम्बर 2013 |
जन्म स्थान (Birth Place) | म्वेज़ो, ईस्टर्न केप, दक्षिण अफ़्रीका |
प्रसिद्दी कारण (Known For) | रंगभेद का आंतरिक प्रतिरोध |
धर्म (Religion) | ईसाई |
पेशा (Profession) | कार्यकर्ता, राजनीतिज्ञ, परोपकारी, वकील |
पत्नियाँ (Wives) | एवलिन नटोको मेस (first wife) विनी मदिकिज़ेला (second wife) ग्राशा मैचल (third wife) |
बच्चे (children) | मेडिका थेमबेकल मंडेला मैकज़िव मंडेला मैकगाथो लेवानिका मंडेला मैकज़िव मंडेला ज़ेनानी मंडेला ज़िनज़िस्वा मंडेला |
नेल्सन मंडेला कौन है
नेल्सन मंडेला दक्षिण अफ्रीका के प्रथम राष्ट्रपति थे जिन्होंने लोगो की विचारधारा बदली थी। इनका पूरा नाम नेल्सन रोलीह्याला मंडेला था। नेल्सन मंडेला ने उस समय चल रहे गोरे और कालो का रंग भेद भाव में काफी विरोध किया था और अफ्रीकंस के लिए यह एक मसीहा और जनक के रूप में आए थे।
नेल्सन मंडेला का प्रारंभिक जीवन
नेल्सन मंडेला का जन्म 18 जुलाई साल 1981 में म्वेजो, ईस्टर्न केप , दक्षिण अफ्रीका में हुआ था। उनके पिता का नाम गेडला हेनरी महाकेनिस्वा और उनकी माता का नाम नैकट्यूफी नोस्केनि था। उनके पिता उस समय उनके कसबे के जनजातीय सरदार थे। अफ्रीका में इस कसबे के अनुसार सरदार के बेटे को स्थानीय भाषा में मंडेला भी कहते ह, जिस कारण नेल्सन मंडेला को मंडेला यह उपनाम प्राप्त हुआ। उनकी माता पेशे से एक मेथोडिस्ट थी। जब नेल्सन सिर्फ १२ वर्ष के थे तब उनके पिता गुजर गए। नेल्सन मंडेला की प्रारंभिक पढाई क्लार्कबेरी मिशनरी स्कूल में हुई थी। नेल्सन मंडेला की स्थानिक शिक्षा हेल्डटाउन में हुई थी, जहा इनकी मुलाकात ओलिवर ताम्बे से हुई जो इनके जीवन भर मित्र और सहयोगी बने।
नेल्सन मंडेला की विवाहित जीवन
नेल्सन मंडेला की तीन शादियां हुई थी जिनमे उनकी 6 संताने हुई, और उनके 17 पोता पोतिया है। साल 1944 में उनकी शादी उनके मित्र वॉटर सिसुलू की बेहेन से हुआ था। साल 1961 में उनकी शादी नोमजामो विनि मेडिकिलाजा से हुई और साल 1998 में अपने 80वी उम्र पार करते समय उन्होंने ग्रेस मार्केल से विवाह किया और यह इनका तीसरा विवाह था।
नेल्सन मंडेला का राजनैतिक जीवन
नेल्सन मंडेला का राजनैतिक जीवन काफी संघर्ष से भरा था। साल 1941 में जोहसंबर्ग में बसने के बाद अपने आजीविका के लिए वह एक सरकारी फर्म में क्लर्क की नौकरी करने लगे थे। उस समय विश्व भर में रंग की भेद भाव को मिटाने के लिए कई सारे मोर्चे और कैंपेन चल रहे थे जिसमे मंडेला ने भी अपनेआप और अपने दोस्तों को शामिल किया। मोर्चा करते करते उन्होंने भी इस राजनीती में कदम रखने का मन बना लिया था। साल 1944 में यह अफ्रीकन नेशनल कांग्रेस पार्टी में शामिल हो गए और यही से उन्होंने रंग भेद का आंदोलन जारी किया और इसमें शामिल भी हुए थे। साल 1944 में ही अपने सहयोगियो और आम पार्टियों के साथ मिलकर एक नई और बड़ी पार्टी अफ्रीकन कांग्रेस लीग का निर्माण किया था। साल 1947 में इन्होने इसी पार्टी से चुनाव लड़ा और अधिक वोट्स पाकर अपने विरुद्ध पार्टी को हराया।
इसी सब के बीच नेल्सन ने अपने आप को कानून की शिक्षा प्राप्त कराई हेतु इसकी पढाई की लेकिन किसी कारणवश वह परीक्षा देने में असफल रहे। इसी सब के बीच इनकी पार्टी अफ्रीकन नेशनल लीग को चुनाव में जोर की फटकार लगी और सामने विरुद्ध पार्टी से हार गई। तभी इस पार्टी के सदस्यों ने इसके अध्यक्ष के लिए कोई युवा को चुना जाए ऐसी मांग की थी। बाद में वोटो के अनुसार नेल्सन को इस पार्टी का युवा अध्यक्ष के तौर पर चुन लिया गया। साल 1961 में इनकी पार्टी ने बहुत बढ़ा आंदोलन चलाया रंग के भेदभाव को लेकर और इसी मोर्चे के वजह से इन्हे और इनके सहयोगियों को गिरफ्तार किया गया था किन्तु कोर्ट में इनके ऊपर कोई जुर्म न होने के कारण रिहाई दे दी गई थी।
नेल्सन मंडेला को 27 साल की जेल
5 अगस्त 1962 में उन्हें फिर गिरफ्तार किया गया, अब की बार उन पर मुद्दा था की नेल्सन और उनके सहयोगी मजदूरों को उकसाते थे और देश छोड़ने के लिए प्रेरित करते थे ऐसा मुकदमा उन पर चला था। 12 जुलाई को इस केस में उनकी हार हुई और उन्हें उम्र कैद की सजा सुनाई गई थी। इसके बावजुद्द उन्होंने हार नहीं मानी और जेल में भी अन्य कैदियों को लामबंद करना शुरू कर दिया। जेल में उनसे कोयले की खान में काम कराया गया था। जेल में अपना समय बिताते वक़्त उन्होंने एक बेहतरीन पुस्तक लिखी जिसका नाम था ” लॉन्ग वाक टू फ्रीडम “। उनके बर्ताव और अच्छे व्यवहार को देख उन पर 27 साल का मुकदमा चला यानी 27 साल बाद उन्हें रिहाई दे दी गयी थी। 11 फरवरी 1990 में समझौते और शांति के माध्यम से एक लोकतंत्र के हैसियत से उन्होंने राजनीती में फिर से कदम रखा।
नेल्सन मंडेला पहले राष्ट्रपति बने
साल 1994 में दक्षिण अफ्रीका में चुनाव रखे गए और अफ्रीकन नेशनल लीग कांग्रेस में नेल्सन मंडेला ने चुनाव लड़ा और अपने प्रतियोगिता पार्टी को 62 % मत पाकर हरा दिया और इसी बहुमत से यह देश के प्रेजिडेंट यानि राष्ट्रपति बने। 10 मई 1994 में नेल्सन मंडेला ने काफी संघर्ष के बाद राष्ट्रपति के पथ पर कदम रखा। राष्ट्रपति बनने के बाद इन्होने हमेशा अहिंशा का मार्ग चुना और महात्मा गाँधी को इसके लिए उन्होंने हमेशा से अपना प्रेरक माना। साल 1996 में अफ्रीकन संविधान में उन्होंने कई सारे बदलाव लाए और कई सारे संस्थाओ का निर्माण सिर्फ अफ्रीका में ही नहीं बल्कि विश्व भर में किया जहा अफ्रीकन लोग दूसरे देशो में गौरव से रह सके। साल 1999 तक नेल्सन मंडेला ने देश के हित में कई सारे कानून लागू किया और इसलिए वह के लोग उन्हें अपने देवता के तरह आज भी मानते है।
नेल्सन मंडेला को देश से मिले सम्मान
अफ्रीका देश में लोग उन्हें मदीबा कहते है यानी उन्हें देश का पिता के नाम से सम्मान मिला है और इन्हे राष्ट्रपिता भी कहाँ जाता है। नेल्सन मंडेला के जन्मदिन पर यानी 18 जुलाई को नेल्सन मंडेला दिवस सरकार द्वारा करार दिया गया है। उनके पास लगभग देश विदेश की गिनती के अनुसार 250 पुरस्कार प्रदान किया गया है उनमे से कुछ निम्न है जैसे –
- साल 1996 में उन्हें नोबल शान्ति के लिए पुरस्कार से नवाज़ा गया था।
- राष्ट्रपति मैडल आजादी के लिए नवाज़ा गया था।
- भारत रत्न
- साल 2008 में गांधी शान्ति पुरस्कार से नवाज़ा गया था।
- आर्डर ऑफ़ लेनिन
- निशाँ – ए – पकिस्तान
इन पुरस्कार से ही आप समझ सकते है की नेल्सन मंडेला विश्व भर में काफी प्रचलित थे और उन्हें हर जगह से सम्मानित किया गया है। जहां लोग अपने आंदोलन और मोर्चा में हिंसा का मार्ग चुनते है वही नेल्सन मंडेला ने हमेशा अहिंसा का मार्ग चुना और ऐसा करने पे उन्होंने हमेशा गांधीजी को अपना आदर्श माना है। यही कारण है उन्हें अपने देश में ही नहीं विदेश में भी लोग पूजते है क्यूंकि अहिंसा का मार्ग ही मनुष्य को दूसरे मनुष्य से जोड़े रखता है और यह पाठ हम सभी के लिए एक महत्वपूर्ण सन्देश है।
निष्कर्ष
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