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महाराणा प्रताप का जीवन परिचय | Maharana Pratap Biography in Hindi

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हेलो दोस्तों , कैसे हो आप सभी लोग ? हमारे वेबसाइट Hindi Top पर आप सभी का स्वागत है। आज फिर हम आपके लिए इतिहास से जुड़े एक रोचक आर्टिकल के साथ आए है । हमारे इतिहास में हमारे भारत को आजादी दिलाने वाले शूरवीर पराक्रमी योद्धा के बारे में क्या ही कहें , ये उस समय न होते तो आज हम ब्रिटिश और मुग़ल के गुलाम होते। हमारे देश के शूरवीरो ने हमारे भारत के अच्छे भविष्य के लिए स्वयं अपनी जान गवा दी। आज हम आपको ऐसे शूरवीर की गाथा इस आर्टिकल में बताएंगे जिन्होंने दिल्ली सल्तनत के बादशाह अकबर को अपने पराक्रम से हरा दिया। प्राचीन काल में मुग़ल सम्राट ने नजाने कितने राजाओ को चित्त कर दिल्ली सल्तनत को अपने नाम किया था। कई राजाओ ने बिना लड़ाई किये ही अकबर को अपना राज्य डरकर सौप दिया क्यूंकि उनके पास सेंकडो सिपाही थे और उस समय मुग़लों का शासन हुआ करता था। इतने शक्तिशाली होने के बावजूद उन्हें हराने वाला योद्धा हमारे भारत की मिट्टी पर जन्म ले चूका था । यह योद्धा महाराणा प्रताप थे जिनके अहंकार ने मुग़ल सेना में भय पैदा कर दिया। हमारे आर्टिकल में हम आपको महाराणा प्रताप का जीवन परिचय ( Maharana Pratap biography in Hindi ) के बारे में विस्तार से बताएंगे।

महाराणा प्रताप का जीवन परिचय

Maharana Pratap के बारे में निचे Points और Information दी हुई है

बिंदु (Points)जानकारी (Information)
पूरा नाम (Full Name)महाराणा प्रताप सिंह सिसोदिया
पिता (Father Name)राणा उदयसिंह
माता (Mother Name)जयवंता बाई
जन्म दिनांक (Birth)9 मई 1540
रियासत (Princely state)मेवाड़ रियासत
जन्म स्थान (Birth Place)राजस्थान के कुंभलगढ़
मृत्यु (Death)19 जनवरी 1597
पत्नी (Wife)राघवेंद्र
संतान (Kids)16 पुत्र
भाई (Brothers)4 भाई
धर्म (Religion) सनातन हिन्दू
बड़े पुत्र (Eldest Son)अमर सिंह
हल्दीघाटी युद्ध (Haldighati war)18 जून 1576
प्रिये हाथी का नाम (Dearest elephant name)रामप्रसाद
सबसे बड़ा शत्रु (Biggest enemy)मुगल अकबर
राजवंश (Dynasty)सिसोदिया

महाराणा प्रताप कौन थे

महाराणा प्रताप का जन्म 9 मई ,साल 1540 में उत्तर दक्षिण भारत के मेवाड़ राजस्थान में हुआ था। महाराणा प्रताप के पिता का नाम था राणा उदय सिंह और माता का नाम महारानी जयवंता थी। आज भी राजस्थान में राणा जी के जन्म दिन का महोत्सव कई राज्यों में मनाया जाता है खासकर मेवाड़ और उनके आसपास के राज्य में आज भी उनके मूर्ति को आप देख सकते है। महाराणा प्रताप के पिता उदयसिंह की महारानी जयवंता के अलावा और भी दो पत्निया थी, जिसमे रानी धीर बाई उन्हें सबसे स्नेह पत्नी थी। रानी धीर बाई के पुत्र जगमाल राणा को रानी उत्तराधिकारी के पथ पर देखना चाहती थी। राजा उदयसिंह के और भी दो पुत्र थे-शक्ति सिंह और सागर सिंह, जो की उनकी एक और पत्नी के संतान थे। इन दोनों में भी राजा बनने की चाह थी और उदयसिंह के यह तीनो पुत्र महाराणा प्रताप से इसी कारण घृणा करते थे।

क्या मुग़ल शासन राजस्थान पर हावी हुआ

कई राजपूत राजाओ ने मुग़ल शासन के सामने घुटने तक दिए थे और इसी प्रकार चित्तोड़ में कई राजाओ को हराकर मुग़लों ने अपना डंका फैला रखा था। इसी कारण कई राजपूत राजा उनके आधीन आ गए और मुग़लों को राजपूतों पर हक़ ज़माने की शक्ति मिल गई थी। प्रताप और उनके पिता ने मुग़लों के आधीन आने से इंकार कर दिया था इस कारण मुग़लों ने अपने रहस्य व्यक्ति के जरिये महाराणा प्रताप के परिवार के आपसी भेदभाव और क्लेश का अंदाजा मुघलो ने पता लगा लिया। उनके एक पुत्र का इस्तेमाल कर मुघलो ने चित्तोड़ का किलेपर अपना हक़ जमाया , लेकिन राणा अपनी प्रजा के लिए किले के बाहर से ही अपनी प्रजा का संरक्षण करते रहे। पूरा परिवार अपनी प्रजा छोड़ उदयपुर की और बढ़ते है, यहाँ पर भी राणा उदयपुर को विक्सित और समृद्ध बनाते है और संरक्षण प्रदान करते है।

महाराणा प्रताप का विवाहित जीवन

अजबदे और राणा का विवाह काफी शीग्र करा दिया गया था और राणा की यह पहली अर्धांगिनी थी। रानी अजबदे राजा नामदे पंवार की बेटी थी और बिजौली की राजकुमारी थी। बिजौली चित्तोड़ साम्राज्य के आधीन था , और इसी कारण राणा का विवाह अजबदे के साथ कराया गया था। अजबदे राणा की प्रिय पत्नी थी , इसके अलावा राज्य को जीतकर राणा के 11 पत्निया और थी। राणा के कुल 17 पुत्र और 5 पुत्रिया थी जिनमे अमर सिंह अजबदे और राणा के पहले पुत्र थेऔर महाराणा प्रताप का शासन बादमे चलकर अमर सिंह ने संभाला था।

क्या राजपुताना महाराणा प्रताप के खिलाफ हो गए थे

राजा अकबर ने राणा की कौशलता और वीरता को देख छल से राजपूतो को अपने आधीन ले लिया था। अकबर ने कई राजपूतों को राजा बनने का लालच दिया और अपने आधीन कर लिया था। अकबर ने उस समय के प्रसिद्द राजपूत राजा मानसिंह को अपने राज्य का सेनापति बना दिया , राजा भगवान दास को लालच हेतु अपने हित में शामिल कर लिया , इसके अलावा टोडरमल को भी साथ ले लिया। अगर उन्हें राणा को हराना था तो उन्हें राजपूत की शक्ति अवश्य लगती और यही छल से उन्होंने राणा और उनके पिता उदयसिंह को साल 1576 में युद्ध छेड़ दिया।

हल्दीघाटी का युद्ध

यह युद्ध भारत का एक महत्वपूर्ण युद्ध था जो राजपूत और मुग़लों के बीच हुआ था , जिसमे कई राजपूतों ने अकबर के आधीन रहकर महाराणा प्रताप से युद्ध किया था। साल 1576 में राजा मान सिंह ने अकबर की तरफ से 5000 सैनिको का नेतृत्व किया था और हल्दीघाट पर पहले से ही 3000 सैनिको की तैनात लेकर युद्ध का एलान किया बिगुल बजाकर राजपूतों को ललकारा। दूसरी तरफ राजपूत ने भी अफगान राजाओ की मदद ली थी, राजा हाकिम खान ने आखरी सांस तक राणा का युद्ध में साथ दिया। हल्दी घात की युद्ध कई दिनों तक चली, इसी कारण प्रजा के लोगो को किले के अंदर सुरक्षित सारे खान पान के साथ पनाह दी गई थी। अन्न की कमी के वजह से प्रजा के आभाव को देखकर प्रताप यह युद्ध हार गए लेकिन फिर भी मुग़ल के सामने अपने आप को समर्पित नहीं किया। इसके बाद जब मुग़ल ने मेवाड़ किल्ले पर अपना हक्क जमाया और अकबर इस वजह से काफी निराश हुए। उनके लिए राणा को पकड़ना काफी महत्व था लेकिन राणा उन्हें दूर दूर तक कहीं नहीं मिले। इसके बाद राणा जी ने जंगल में समय व्यतीत कर नया नगर बसाया जिसका नाम उन्होंने चावंड रखा था।

मेवाड़ और मुग़ल में समझौता

महाराणा प्रताप के मृत्यु के बाद उनके पुत्र अमर सिंह ने मेवाड़ की राजगद्दी संभाली। अपनी राज्य के हिट के लिए उन्होंने मुग़ल राजा अकबर के बेटे से समझावता कर्ली थी। इस समझावता में उन्होंने मुग़ल को अपने आधीन तो लिया लेकिन कुछ शर्तों के साथ राखी गई थी। इस शर्तो में सबसे महत्त्व था की भविष्य में भी मुग़ल और राजपूतो में वैवाहिक सम्बन्ध नहीं बनाए जाएंगे। यह भी निश्चित किया गया की मेवाड़ के राजा मुग़ल दरबार में शामिल नहीं होंगे और चित्तोड़ के किल्ले में मुघलो को किल्ले से दुरुस्त रखा जाएगा क्यूंकि भविष्य में मुग़ल राजपूत के लिए खतरा बन सकते थे। यह महाराणा प्रताप की धैर्य ही था जिससे मुग़ल उनके बेटे से समझावता के लिए तैयार हो गए।

महाराणा प्रताप जयंती कब मनाई जाती है

हर साल के ज्येष्ठा माह के तीज को हिंदी पंचांग के अनुसार मनाई जाती है। इस साल 2021 में 13 जून को महाराणा प्रताप जयंती मनाई गई थी।

निष्कर्ष

इस आर्टिकल को पढ़कर आपको जरूर हमारे योद्धा पर गर्व करना तो हम सबके लिए गौरव की बात है। अगर आपको हमारा आर्टिकल महाराणा प्रताप का जीवन परिचय (Maharana Pratap Biography in Hindi ) पसंद आया हो तो इस पोस्ट में नीचे कमेंट बॉक्स आपका सुझाव जरूर दीजियेगा। आपसे निवेदन है हमारे पोस्ट को लाइक , शेयर और कमेंट जरूर कीजिये , इससे हमें नए आर्टिकल्स लिखने में प्रेरणा मिलेगी और हम आपके लिए नए और बेहतरीन आर्टिकल्स के साथ फिर आपके लिए हमारे वेबसाइट Hindi Top पर हाज़िर होंगे। हमारे इस पोस्ट को अंत तक पढ़ने के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद्।


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sona arumugam

मेरा नाम सोना अरुमुगम है , पेशे से इंजीनियर👩‍💻 दिल से लेखक हुँ।❤✍ मेरे ब्लॉग सिर्फ शब्द नहीं हैं वो मेरे विचार हैं📖💫 मैं सुरत शहर से ताल्लुक रखती हूं ।

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