BiographyIndian Epics Biography

कबीर दास का जीवन परिचय | Kabir Das Biography in Hindi

Share Now

नमस्कार दोस्तों स्वागत है आप सबका अपनी मनपसंद बेवसाइ़ट Hindi Top पर दोस्तों वैसे तो आपको हमारे इस वेबसाइट पर प्रत्येक दिन नए-नए जाने-माने हस्तियों के बारे में जानकारी मिलती है लेकिन आज हम बात करने जा रहे हैं एक ऐसे कवि की जिन्होंने बहुत सारी किताबों की रचना की है तो चलिए जानते हैं आज के इस लेख मे कबीर दास के जीवन परिचय के बारे में विस्तारपूर्वक जानते हैं।

कबीर दास का जन्म और माता-पिता 

भारत के हिन्दी साहित्य के गौरवशाली व्यक्ति कबीर के जन्म को लेकर कई मतभेद हैं। कुछ लोगों का मानना ​​है कि कबीर का जन्म विधवा ब्राह्मणी के गर्भ से हुआ था, रामानंद स्वामी ने ब्राह्मण की बहू को आशीर्वाद दिया और ब्राह्मणी ने समाज में बदनामी के डर से बच्चे कबीर को लहरतारा तालाब के पास फेंक दिया। लोग अपने माता-पिता के बारे में भी एक राय नहीं रखते हैं। कुछ लोगों का मानना ​​है कि कबीर के माता-पिता नीरू और नीमा थे, जबकि कुछ लोगों का कहना है कि उन्होंने ही कबीर दास नें पाला था। उन्हें यह बच्चा लहरतला तालाब के पास मिला। 

दूसरी ओर, दूसरी धारा जो कबीर का मानना ​​है कि लहरतारा तालाब में एक अद्भुत फूल पर कबीर एक बच्चे के रूप में प्रकट हुए और वे एक अवतार व्यक्ति थे। कबीर के जन्म और उनके धर्म को लेकर लोगों के बीच भले ही विवाद हो, लेकिन उनकी शिक्षाएं और विचार इससे मोहित नहीं हैं। भक्ति काल के प्रमुख कवि और समाज सुधारक कबीर की भाषा साधुक्कड़ी थी, लेकिन उनके साहित्य में ब्रज, पंजाबी, अवधी, राजस्थानी और हरियाणवी खारी बोली देखने को मिलती है।

Kabir Das Biography in Hindi

नामकबीर दास 
जन्म  स्थानविक्रमी संवत 1455 लहरतारा तालाब, काशी (वाराणसी)
पिता का नामनिरु
माता का नामनिमा
पत्नी का नामलोई 
बच्चेकमल (लड़का) और कमली (लड़की)
गुरु का नाम रामानंद 
भाषासाधुक्कड़ी, पंजाबी, राजस्थान, अवधी, हरियाणवी, ब्रज, खड़ी बोली
मृत्युसन 1494 ई। (विक्रमी संवत 1551) मगहर, (यू.पी) भारत
प्रमुख रचनाएँअमर मूल, अर्जनम कबीर,

कबीर दास की शिक्षा

कहा जाता है कि कबीर को बचपन में पढ़ने-लिखने का कोई शौक नहीं था और साथ ही उन्हें खेलों में भी कोई दिलचस्पी नहीं थी। परिवार में अत्यधिक गरीबी के कारण उसके माता-पिता भी उसे शिक्षित करने की स्थिति में नहीं थे। इसलिए कबीर ने अपने जीवन में कभी किताबी शिक्षा नहीं ली। कहा जाता है कि कबीर के मुख से निकले दोहे उनके शिष्यों ने लिखे थे। कबीर के कामत्या और लोई नाम के दो शिष्य थे जिनका उल्लेख कबीर ने अपने दोहों में कई बार किया है। जिस समय कबीर दास जी शिक्षा के पात्र हुए उस समय रामानन्द काशी के प्रसिद्ध पंडित और विद्वान व्यक्ति थे। 

कबीर ने भी कई बार रामानंद से मिलने और उन्हें अपना शिष्य बनाने का अनुरोध किया। लेकिन उस समय जातिवाद अपने चरम पर था, इसलिए हर बार उन्हें आश्रम से भगा दिया जाता था। उन्हें रामानन्द जी से शिक्षा प्राप्त करने का बहुत उत्साह था, इसलिए उन्होंने एक दिन रामानन्द जी से मिलने की योजना बनाई। रामानंद रोज सुबह 4 बजे घाट पर गंगा स्नान करने जाते थे।एक दिन कबीर रास्ते में लेट गए। रामानन्द ने जैसे ही वह मार्ग छोड़ा, उनके पैर कबीर पर पड़ गए।

बालक कबीर को देखकर अचानक उनके मुख से “राम-राम” निकला, कबीर अपने गुरु रामानंद (कबीर दास के गुरु का नाम) को सीधे देखकर बहुत प्रसन्न हुए और कबीर को राम-राम नाम का गुरु मंत्र मिला। कबीर की श्रद्धा देखकर रामानन्द बहुत प्रसन्न हुए और उन्हें अपना शिष्य बना लिया।

जब रामानंद जी ने कबीर दास जी को अपनी शिक्षा दी तो वे उनके आश्रम गए और उनसे शिक्षा प्राप्त करने लगे और वहीं से उन्होंने संस्कृत, हिंदी, उर्दू और फारसी भाषाओं का अध्ययन किया। अपने गुरु के कहने पर उन्होंने लेखन कार्य करने का विचार किया और एक प्रसिद्ध कवि बन गए। कबीर दास जी आज के समय में विश्व के जाने माने कवि हैं। कबीर दास ने अपने लेखन के साथ-साथ जातिवाद के साथ-साथ कई सामाजिक सुधार कार्य किए, जिन्हें कभी भुलाया नहीं जा सकता।

कबीर दास का वैवाहिक स्थिति 

संत कबीर दास जी बहुत गरीब थे और ऐसे में उनका विवाह नहीं हो रहा था और बाद में संत कबीर दास का विवाह लोई नाम की लड़की से हो गया। शादी के बाद कबीर और लोई के दो बच्चे हुए, एक लड़का और दूसरी लड़की। कबीर के लड़के का नाम कमल और लड़की का नाम कमाली था।

इतनी गरीबी के कारण उनके बच्चों का पालन-पोषण करना बहुत मुश्किल हो गया था। उनकी पत्नी और कबीर दास जी के बीच गरीबी को लेकर अक्सर झगड़े होते रहते थे और हर बार कबीर दास जी अपनी पत्नी की बातें सुनते थे और अपने दिल में बहुत शर्मिंदगी महसूस करते थे।

कबीर दास का साहित्य

कबीर दास जी के नाम से मिले ग्रंथों की संख्या भिन्न है। एचएल विल्सन के अनुसार कबीर के नाम से 8 ग्रंथ हैं। वहीं, बिशप जीएच वेस्टकॉट ने कबीर के नाम कुल 84 ग्रंथों की सूची जारी की है।

कबीर दास के भाषणों का संग्रह, जिसे “बीजक” के नाम से जाना जाता है, को तीन भागों में विभाजित किया गया है, जो इस प्रकार हैं, रमैनी, सबद और सारवी।

कबीर दास की प्रमुख रचनाएं

  • अनुराग सागर
  • अमर मूल
  • अर्जनम कबीर का
  • उग्र ज्ञान की बुनियादी बातें – दास भाषा
  • अठपहरा
  • अक्षर खंडो की रमैनी
  • अलिफ़ नामाज
  • कबीर गोरख  की गोष्ठी
  • अक्षर भेद की रमैनी
  • कबीर की साखीॉ
  • कबीर की वाणी
  • कबीर अष्टक

निष्कर्ष 

दोस्तों आज के इस लेख में हमने Kabir Das Biography in Hindi के बारे में जानकारी दीया है हम उम्मीद करते हैं कि हमारे द्वारा कबीर दास के जीवन परिचय के बारे में जो जानकारी दिया गया है वो सही लग रहा  होग।अगर आपको यह लेख सही लगता है तो आप इसे सोशल मीडिया पर शेयर कर सकते हैं हमारे साथ हमारे इस वेबसाइट पर बने रहने के लिए धन्यवाद।

कबीर दास के माता-पिता कौन थे

कबीर दास के माता-पिता नीरू और नीमा थे

कबीर दास का जन्म कब और कहां हुआ था

कबीर दास का जन्म विक्रमी संवत 1455 लहरतारा तालाब, काशी (वाराणसी) में हुआ था

कबीर दास की प्रमुख रचनाएं कौन-कौन सी हैं

कबीर दास की प्रमुख रचनाएं, अनुराग सागर,अमर मूल,अर्जनम आदि हैं

कबीर दास के गुरु कौन थे

कबीर दास के गुरु रामानंद थे

कबीर दास की मृत्यु कब हुई थी

कबीर दास की मृत्यु सन 1494 ई। (विक्रमी संवत 1551) मगहर, (यू.पी) भारत में कब हुई थी

कबीर दास की रचनाएं किस-किस भाषा में हैं

कबीर दास की रचनाएं साधुक्कड़ी, पंजाबी, राजस्थान, अवधी, हरियाणवी, ब्रज, खड़ी बोली आदि में हैं


Share Now

Arti Jha

मेरा नाम आरती झा है । मै बिहार मुजफ्फरपुर की रहने वाली हूं।मैं पेशे से से एक हिंदी लेखक हुँ ।

Related Articles

Leave a Reply