हिस्टीरिया बीमारी क्या है जाने यह क्यों होती है

आज के समय में हर किसी का जीवन एक मशीन की तरह होता जा रहा है। लोग कुछ भी खाते रहें है जिसकी वजह से उन्हे कई अनेक प्रकार की बीमारी होती रहती है वही गलत जीवनशैली के वजह से उन्हे मानसिक बीमार होती है। मन में हलचल और टेंशन की वजह से हिस्टीरिया रोग होने के संकेत बढ़ जाते हैं। यह रोग वैसे तो दोनो ही जेंडर में दिखाई देता है पर रिसर्च के अनुसार बात करे तो स्त्री को यह मानसिक बीमारी मुख्यत ज्यादा होती है। आज इस आर्टिकल के माध्यम से आपको इस हिस्टीरिया बीमारी के संकेत से आपको अवगत कराएंगे। इस बीमारी के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त करने के लिए हिस्टीरिया बीमारी क्या है को ध्यान से पढ़े।
हिस्टीरिया बीमारी क्या है
हिस्टीरिया एक प्रकार का मानसिक रोग है। यह बीमारी मुख्य 15 से 25 वर्ष की लड़कियों को काफी अधिक होती है। इस बीमारी में मरीज को विचित्र प्रकार के दौरे पड़ते हैं। इस बीमारी में पड़े दौरे मिर्गी के बीमारी में पड़े दौरों से बिल्कुल अलग होते हैं। हिस्टीरिया के मरीज को ऐसा भ्रम होता है की वह कुछ देर के लिए बेहोश है, या उन्हे दिखाई देना ही बंद हो जाता है या उसका हाथ यां पैर काम नहीं कर रहा है या उन्हे दौरा पड़ रहा है जिसमे उसके हाथ व पैर लगातार हिल रहे होते है जिसकी वज़ह से जो भ्रम उनके मन में होता है वैसा ही वह करने लगते है।
लड़कियो को हिस्टीरिया की बीमारी कैसे होती है
जैसे ही हमने आपको ऊपर के सेक्शन में बताया कि यह बीमारी मुख्यत लड़कियो को ही होती है तो अब हम कुछ मुख्य कारण क्या है इस बीमारी के ये जानेंगे।
लड़कियों की शादी में देरी, पति-पत्नी के बीच लड़ाई-झगड़े, पति की अवहेलना या दुव्र्यवहार इन वजह से भी महिलाओ को हिस्टीरिया की बीमारी होती है।
तलाक, किसी अपने की मृत्यु, कोई गंभीर आघात, बहुत ज्यादा धन की हानि, मासिक धर्म विकार इन सब वज़ह से भी महिलाओ को हिस्टीरिया की बीमारी होती है।
संतान न होना, गर्भाशय के रोग आदि ऐसे कई कारण हैं जो इस बीमारी की वजह बनते हैं। जब घर में झगड़े हों, प्रेम में असफलता, अपच व कब्ज की शिकायत बनी रहे, रोगी के चेतन या अचेतन मन में चल रहे किसी तनाव का दबाव बहुत बढ़ जाए और उससे बाहर निकलने का जब कोई रास्ता न दिखे तो वह जिन भावों में व्यक्त होता है उन्हे भी हिस्टीरिया जैसी बीमारी हो सकती है।
हिस्टीरिया बीमारी के लक्षण क्या है
हिस्टीरिया के लक्षण की बात करे तो वो नीचे लिखे हुए आप देख सकते है,
- निराशा
- चिड़चिड़ाहट
- सहनशक्ति खत्म होना
- बहुत ज्यादा चिंता होना
- बार-बार रोने लगना
- बिना किसी कारण हंसना और रोना
- सिर में भारीपन
- दांतों को जोर-जोर से पीसना
- अपने रिश्तों पर हद से ज्यादा निर्भर होना
- भ्रम की स्थिति में रहना
- किसी चीज को बार-बार दोहराना
- शरीर के किसी अंग में ऐंठन
- थरथराहट
- बोलने की शक्ति का नष्ट होना
- निगलने व सांस लेते समय दम घुटना
- बहरापन
हिस्टीरिया बीमारी का ईलाज क्या है
अगर हिस्टीरिया के शुरुआती अवस्था में , मरीज भीड़ में जाने से डरते है, उन्हे मौत का डर लगता है, रोगी खुद में ही अपने मरने का दिन और समय निश्चित करके बताने लगते है ऐसे लक्षण में हिस्टीरिया के मरीज को एकोनाइट नैप 30 या 200 देना चाहिए।
हिस्टीरिया के रोग से ग्रस्त मरीज जब अपनी हंसी रोक नहीं पाए और बिना बात के हंसता चला जाए तो, कभी कभी झट से बेहोश हो जाए , कभी कभी मरीज का एक गाल ठंडी तो दूसरी गर्म लगे , जब मरीज बेहोशी के हालत में हो तो उनका शरीर पूरा ठंडा हो जाए। ऐसी स्थिति में हम उन्हे मौस्कस 3 , 6 या 30 दे सकते है।
कभी कभी रोगियों का मन बहुत खराब रहना, मृत्यु की इच्छा करना, बहुत ज्यादा रोना, रोगी कभी कभी इतना डिप्रेस्ड हो जाता है कि उसे लगने लगता है एक इस धरती पर रहने लायक ही नहीं हैं ऐसे समय में ऑरम मेटालिकम 30 या 6 दे सकते है।
हिस्टीरिया के रोगी का बहुत चिड़चिड़ा होना और कभी कभी क्रोधी होना, छोटी सी बातों पर गुस्सा हो जाना ऐसे में हम उन्हे कैमोमिला 30 या 6 दे सकते है।
हिस्टीरिया के बीमारी का कारण अगर दुख हो , डर जाना, तो इस दवा से लाभ होता है ऐसे में उन्हें इग्नेशिया 30 या 6 दे सकते हैं।
हिस्टीरिया के मरीज जब दूसरों को नफरत से देखते है, कभी कभी घमंडी बन जाते है, ऐसे में उन्हें प्लैटिनम 6X या 30 दे सकते है।
कभी कभी हिस्टीरिया के मरीज केवल हंसना चाहते हैं, हर वक्त औंघाई और मुंह सुखा रहना किंतु प्यास तनिक भी न लगे, थोड़ा सा भी खा ले तो पेट फूल जाता हो, मासिक धर्म अनियमित हो तो उन्हे आप नक्स मॉस्काटा 30 या 6 दे सकते है।
हिस्टीरिया के मरीज को जब पता चले कि उन्हे कोई देख रहा है तो नर्वस हो जाते है या उनके हाथ खुद ही हिलने लगते। ऐसे में उन्हें टैरेंटूला 6 या 30 दे सकते हैं।
Note : ऊपर बताई गई दवाइयां आप बिना किसी डॉक्टर की परामर्श के ना ले। इन दवाइयों का सेवन करने से पहले अपने डॉक्टर से सलाह ज़रूर लें।
हिस्टीरिया का घरेलू उपचार
हिस्टीरिया की बीमारी मे पुराने घी का प्रयोग और पूरे शरीर पर इसकी मालिश फायदेमंद होती है। पुराने घी की दो बूंदें नाक में रोजाना डालने से भी लाभ मिलता है। दूध स्वभाव से ओज की वृद्धि करता है और ओज के बढ़ने से मन की क्षमता में इजाफा होने लगता है।
काश्यप संहिता में लिखा है कि मानसिक रोगों को धृति, वीर्य, स्मृति ज्ञान तथा विज्ञान के द्वारा नष्ट किया जाता है। रसयुक्त और चिकने पदार्थों का सेवन करने वालों में सात्विक गुणों की वृद्धि होती है।
जिन कारणों से यह रोग हुआ है उन्हें दूर करके इस समस्या से निजात पाई जा सकती है। जैसे-जैसे उम्र बढ़ती जाती है, यह रोग भी ठीक होता जाता है। ध्यान रहे कि इस रोग से पीडि़त व्यक्ति पर गुस्सा न करें क्योंकि इच्छाएं पूरी न होने की वजह से वह पहले ही किसी बात से परेशान होता है। इसलिए उसके साथ सौम्य स्वभाव के साथ बातचीत करें।
उसकी बातों को ध्यान से सुनें और उसे बार-बार यह एहसास न दिलाएं कि वह किसी समस्या से पीडि़त है। मरीज को सकारात्मक सोच रखने के लिए प्रेरित करें। उसके अच्छे कामों के लिए उसे प्रोत्साहित करें। रोगी का स्वभाव बदलने के लिए उसे किसी जगह पर घुमाने के लिए भी ले जा सकते हैं। चरक संहिता के अनुसार मानसिक रोगों में सर्वश्रेष्ठ चिकित्सा बुद्धि, धैर्य व आत्मज्ञान है। हितकर आहार-विहार, दान करने की भावना विकसित करें। क्षमाशीलता और अच्छा आचरण अपनाएं।
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निष्कर्ष
उम्मीद है की आपको आज की पोस्ट हिस्टीरिया बीमारी क्या है की यह पोस्ट पसंद आई होगी। हमने इस आर्टिकल में आपको हिस्टीरिया क्या है और इस बीमारी से कैसे निजात पाए इनसब के बारे मे विस्तार से जानकारी देने का प्रयास किया है अगर उसके बावजूद भी आपके मन में किसी प्रकार का सवाल हैं तो आप हमसे आर्टिकल के कमेंट सेक्शन में सवाल पूछ सकते है। धन्यवाद!