हरिवंश राय बच्चन का जीवन परिचय |Harivansh Rai Bachchan Biography in Hindi

नमस्ते दोस्तों, कैसे है आप सब ? हमें आशा है की इस कोरोना काल में आप और आपके परिवार जान सब स्वस्थ और सुरक्षित है। हमारे वेबसाइट Hindi Top पर आप सभी का स्वागत है। आज आपको हम हमारे युग के महानायक श्री अमिताभ बच्चन के पिता के जीवन परिचय के बारे में बताएंगे। श्री अमिताभ जी के एक्टिंग के बारे में तो हम सभी जानते ही है। इनके अनोखे अंदाज़ और एक्टिंग के तो हर कोई दीवाने है , लेकिन क्या आप जानते है जितने प्रचलित हमारे महानायक अमिताभ जी के फिल्मे है उसी प्रकार उनके पिता हरिवंश राइ बच्चन उस दौर में काफी प्रचलित थे। आज हम ” हरिवंश राय बच्चन का जीवन परिचय ( Harivansh Rai Bachchan biography in Hindi) ” के विषय में सारांश से बताएंगे।
हरिवंश राय बच्चन का जीवन परिचय | Harivansh Rai Bachchan Story in Hindi
हरिवंश राय बच्चन के बारे में हमने निचे Points और Information दी हुई है
बिंदु (Points) | जानकारी (Information) |
पूरा नाम (Full Name) | हरिवंश राय श्रीवास्तव उर्फ़ बच्चन |
पिता (Father Name) | प्रताप नारायण श्रीवास्तव |
माता (Mother Name) | सरस्वती देवी |
जन्म दिनांक (Birth) | 27 नवम्बर 1907 |
मृत्यु (Death) | 18 जनवरी, 2003 |
जन्म स्थान (Birth Place) | गाँव बापूपट्टी, जिला प्रतापगढ़, उत्तरप्रदेश |
मृत्यु स्थान (Death place) | मुंबई |
पत्नी (Wife) | श्यामा बच्चन ( प्रथम पत्नी ) तेजी बच्चन ( दूसरी पत्नी ) |
संतान (Kids) | अमिताभ, अजिताभ |
शिक्षा (Education) | पी॰ एच॰ डी॰ |
कार्यक्षेत्र (Work) | लेखक, कवि, विचारक, स्वतन्त्रतासेनानी |
शैली (Style) | हिंदी, छायावाद |
हरिवंश राइ बच्चन का जीवन परिचय ( Harivansh Rai Bachchan Hindi )
हरिवंश राइ बच्चन एक महान कवी थे और इनका जन्म 27 नवंबर साल 1907 में शहर इलाहाबाद के प्रतापगढ़ जिले में एक छोटे से गांव बापपट्टी में हुआ था। हरिवंश राइ बच्चन का नाम प्रताप नारायण श्रीवास्तव और माता जी का नाम सरस्वती देवी था। हरिवंश जी एक बेहतरीन कवी, लेखक और अध्यापक भी थे।
हरिवंशजी की प्रारंभिक शिक्षा उनके गाँव में हुई जहाँ उन्होंने उर्दू और अंग्रेजी लिपि भाषा सीखी। इसके बाद इन्होने विदेश जाकर कैंब्रिज विश्वविद्यालय से अंग्रेजी साहित्य के विख्यात कवी “थे ब्लू यीट्स ” की कविता की शोध कर पीछ्ड़ी की उपाधि प्राप्त की और यही से उन्होंने साहित्य जीवन में प्रवेश किया था।
हरिवंश राइ बच्चन का विवाहित जीवन
साल 1926 में इनका विवाह श्यामा देवी से हुआ जिनका निधन साल 1936 में हो गया, श्यामा देवी टीबी के बिमारी से गुजर रही थी और इसी कारण हरिवंश जी काफी मुश्किलों से अपना जीवन व्यतीत किया था। उसके बाद साल 1941 में उन्होंने दूसरी शादी की थी और उनकी दूसरी पत्नी का नाम सरस्वती देवी था और इन दोनों के दो पुत्र थे – एक थे अजिताभ जो की पेशे से एक व्यवसाइक थे और दूसरे थे अमिताभ जी जो की आज भी बड़ी बड़ी फिल्मो में काम करते है।
हरिवंश राइ जी का साहित्य लगाव
हरिवंश जी ने सिर्फ 13 वर्ष की आयु से लेखन और कविताओं में रूचि लेना शुरुवात की थी और कई सारी कविताए और रचनाए लिखी भी थी। इनकी कविताए और कहानी व्यक्तिगत और मानवता अर्थात प्रेम और जीवन साहित्य को प्रवर्तक करते थे। हरिवंश जी की भाषा शैली सरल, मार्मिक और दृष्टिचार रही है और उनके अधिकांश कविताओं में वह शुद्ध कड़ी बोली का प्रयोग करते थे। इनकी भाषा शैली में सीधी साधी जीवन गाथा का प्रयोग होता था। अपनी साहित्य रचनाओं में संवेदनाओ को संरक्षित किया है और इनका कवी रूप काफी सराहनीय है।
हरिवंश राइ बच्चन का कार्यक्षेत्र
- हरिवंश जी हमेशा अपने मातृभाषा हिंदी भाषा को महत्व देते थे, इसलिए उन्होंने अपने सारे अनुवाद पहले हिंदी में लिखे थे। उसमे से प्रमुख अनुवाद कार्य थे – शकेस्पियर, श्रीमद्भगवद्गीता।
- साल 1995 में हरिवंश जी दिल्ली चले गए और वह पर विदेश मंत्रालय में एक उच्च पढ़ के अधिकारी के रूप में 10 साल तक नौकरी की थी।
हरिवंश राइ की कविताए और रचनाए
हरिवंश की कविताओं में कुछ प्रचलित कविताए है जिन्हे लिखकर इन्होने विश्वख्याति और प्रसिद्धि हासिल की। इन्होने फ़ारसी कवी उम्र ख्याम की कविताओं को हिंदी में अनुवाद भी किया और इन्ही की जीवन से प्रारंभिक होकर इन्होने अपनी सबसे प्रचलित कविता की रचना की “मधुबाला”। इनकी कुछ प्रसिद्द कविताए है :
- मधुशाला
- मधुबाला
- मधुकलश
- सूत की माला
- चिड़िया का घर
- त्रिभंगिमा
- सबसे पहले
- घर
कविताओं के अलावा इन्होने कई विशेष रचनाए लिखी है जो काफी लोकप्रिय हुई थी और इनके कुछ रचनाए है :
- हम ऐसे आज़ाद
- रीढ़ की हड्डी
- टुटा हुआ मौन बुलबुले हिन्द
- मौन और शब्द
- दो पीढ़िया
- 1976 क्यों जीता हु
कविताओं, रचनाओं के साथ साथ इनके कुछ चर्चित अनुवाद भी है जो काफी प्रचलित हुए। कुछ अनुवाद जैसे
- हेमलेट
- जंगिता
- मेक्वेथ
- प्रवासी की डायरी
हरिवंश राइ बच्चन के फिल्मो में लिखे गए गीत
कुछ प्रशंसनीय गीत जो हरिवंश जी ने फिल्मो में दी है :
- अग्निपथ में बोली जाने वाली पंक्ति : अग्निपथ, अग्निपथ, अग्निपथ।
- सिलसिला फिल्म में लिखी गीत “रंग बरसे “
- आलाप फिम में लिखी गीत “कोई जाता में सो जाता।
हरिवंश राइ बच्चन को मिले पुरस्कार
साल 1976 में इन्हे पद्मा विभूषण पुरस्कार से सम्मानित किया गया था, इसके अलावा अपने लेखन कार्यों के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। एफ्रो एशिया सम्मलेन के जरिये इन्हे सोवियत लैंड नेहरू पुरस्कार से सम्मानित किया गया है।
हरिवंश राइ बच्चन की आत्मकथा
हरिवंश राइ बच्चन द्वारा लिखी आत्मकथा चार खंडो में प्रजलित है :
- क्या भूलू क्या याद करू ,
- नींद का निर्माण फिर ,
- बसरे से दूर ,
- दशद्वारा से सपना तक संस्करण है
- संघर्ष इंसान को मजबूत बनता ही, फिर वो चाहे कितना भी कमज़ोर क्यू न हो।
- तू न थकेगा कभी न थमेगा कभी, तू न मुड़ेगा कभी , कर शपथ कर शपत कर शपथ। अग्निपथ अग्निपथ अग्निपथ।
निष्कर्ष
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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
हरिवंश राइ बच्चन के जीवन परिचय के बारे में काफी प्रश्न किए जाते है इसमें से कुछ निचे दिए हुए है
हरिवंश राइ बच्चन का निधन कब हुआ
हरिवंश राइ बच्चन का निधन 18 जनवरी , साल 2003 में शहर मुंबई मे हो गया।
हरिवंश राइ बच्चन की अंतिम कविता कोनसी है
हरिवंश राइ बच्चन की अंतिम कविता मौन और शब्द है |