गांधी जयंती क्यों मनाई जाती है और कब मनाई जाती है ?

हम सभी जानते हैं कि गांधी जयंती 2 अक्टूबर को मनाई जाती है, क्यों कि उस दिन महात्मा गांधी का जन्म हुआ था। यहां तक हम पिछले 7 साल से गांधी जयंती के ही दिन हम स्वेच्छ भरत दिवस भी मानते हैं, क्यों देश के बापू यानी गांधी चाहते थे देश स्वेच्छ रहे, लेकिन क्या अपको पता हैं कि आखिर गांधी जयंती क्यों मनाई जाती है और कब से मनाई जा रही है, शायद ही लोग इसके बारे में कुछ जानकारी रखते होंगे। तो इसी आर्टिकल में हम आपको ये बताएंगे कि आखिर क्यों और कब से मनाई जा रही है गांधी जयंती, और इसे मानने के पिछे की वजह इसके साथ ही जानेंगे महात्मा गांधी से जुड़े कुछ रोचक तथ्य।
व्यक्ति अपने विचारों से निर्मित एक प्राणी हैं,
महात्मा गांधी
वह जो सोचता है, वही बन जाता हैं
गांधी जयंती क्यों मनाते हैं
वैसे तो इस यानी 2 अक्टूबर सन 1869 में महात्मा गांधी का जन्म हुआ था। जानते हैं, जब गांधी जी अपनी लॉ की पढाई कर भारत आए थे, तब उस समय सभी जानते हैं कि अंग्रेजी हुकूमत का राज था, अंग्रेजो से आजादी पाने के लिए बहुत से फ्रीडम फाइटर लड़ रहे थे और बस ये सब देखकर गांधी जी ने भी मन बना लिया की वो अपने देश भारत को अंग्रेजो से आजाद करा कर ही रहेंगे। इन्होंने भारत की स्वतंत्रता के लिये अंग्रेजो के खिलाफ़ इन्होंने अपना पूरा जीवन संघर्ष के साथ जिया, अंग्रेजो के खिलाफ़ भी लड़ते हुए उन्होंने कभी हथियार नहीं उठाए और अहिंसा के साथ ही उन्होंने पुरी लड़ाई लड़ी।देश की स्वंत्रता के लिए गांधी जी ने एक लम्बी लड़ाई लड़ी, गांधी जी के प्रयासों के चलते ही आज हम आजाद देश में रह रहे हैं।
बस गांधी जी के विचारों के सहारे उन्हे हमेशा अपने अंदर जीवित रखने के लिए आज भी पुरा देश गांधी जयंती मनाता हैं, साल 2021 में गांधी जयंती को 152 वर्ष पुरे हो चुके हैं।
महात्मा गांधी का व्यक्तित्व
महात्मा गांधी लेकिन इनका पूरा नाम मोहन दास करम चंद गांधी था, जानते हैं इन्हें महात्मा की उपाधि रविन्द्र नाथ टैगोर ने दी थी, जिसके बाद लोगों ने गांधी जी को महात्मा गांधी के नाम से पुकारना शुरू कर दिया था, आखिर ये इनका व्यक्तित्व ही था जो इन्हें गांधी से महात्मा गांधी बनाता है।
महात्मा गांधी का एक ही लक्ष्य था, अहिंसा के पथ पर चलना चाहे कितनी बड़ी मुश्किलें क्यों न आजाएं वो हमेशा ईमानदार और स्वच्छ प्रथाओं के माध्यम से एक नए समाज का निर्माण करना चाहते थे। वे कहते थे कि अहिंसा एक दर्शन हैं, एक सिद्धांत हैं और एक अनुभव भी जिसके आधार पर समाज का बेहतर निर्माण कर पाना संभव हैं।
उनके अनुसार समाज में रहने वाले प्रत्येक व्यक्ति को समान दर्जा और अधिकार मिलना चाहिए भले ही फिर वो किसी लिंग, धर्म, रंग,जाति या फिर कोई भी हो।
मेरा धर्म सत्य और अहिंसा पर आधारित हैं,
महात्मा गांधी
सत्य मेरा भगवान हैं,अहिंसा उसे पाने का साधन।
गांधी जी की नोटों कब से छपने लगी तस्वीर
अब अपने गांधी जी के बारे इतना सब कुछ जान लिया हैं तो साथ में ये भी जन लीजिए कि आखिर कब से गांधी जी की तस्वीर भारतीय नोटों पर छपना शुरू हुई थी।
बात है साल 1947 की जब हमारा देश आजाद हुआ था, उस समय भारतीय करेंसी यानी नोटों पर ब्रिटिश सम्राट का चित्र था, और आजादी मिलने के बाद महसूस किया गया कि करेंसी यानी नोटों पर ब्रिटिश सम्राट के चित्र की जगह महात्मा गांधी की तस्वीर होनी चहिए, काफ़ी समय और सोच विचार के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की तस्वीर देश की करेंसी में स्थान दिया गया दरअसल आरबीआई यानी रिजर्व बैक ऑफ इण्डिया ने साल 1969 में 100 रुपये का एक स्मारक नोट जारी किया था, जिसमें सेवाग्राम आश्रम में बैठे महात्मा गांधी को दिखाया गया था, लेकिन करेंसी नोट में राष्ट्रपिता की तस्वीर को नियमित रूप से प्रकाशित करने का काम 1987 में ही शुरू किया गया था, इसी साल 500 के नोट पर मुस्कुराते गांधी जी की तस्वीर छपी थी।
इसके बाद साल 1993 में आरबीआई ने ही भारत के सभी नोटों पर गांधी जी की तस्वीर छपने की सिफारिश की और फिर साल 1996 में सभी नोटों की सीरीज पर इनकी तस्वीर छपी जाती हैं। तब से लेकर अब तक सिर्फ एक और दो रुपए के नोट को छोड़कर सभी नोटों पर इनकी तस्वीर छाती जाती है।
गांधी जी की जिस तस्वीर को आप भारतीय नोट पर देखते हैं उसे कोलकाता में साल 1946 में ली गई थी। उस वक्त गांधी जी ब्रिटिश सचिव फेडरिक लॉरेंस से मिलने के लिए कलकत्ता पहुंचे थे। यहीं तस्वीर भारतीय नोटों पर छापा गया।
महात्मा गांधी से जुड़े कुछ दिलचस्प तथ्य
- गांधी जी ने गांधी जी दक्षिण अफ्रीका में रहने के दौरान 1899 के एंग्लो बायर युद्ध में एक स्वास्थ्यकर्मी के रूप में लोगों की मदद की, सहायता के दौरान युद्ध के भयानक चित्र को देखकर इन्होंने हिंसा के खिलाफ आवाज उठाने की ठान ली और इसी प्रकार गांधी जी अहिंसा के रस्ते पर चलने का निर्णय लिया।
- अपको पता है इनके जन्म दिवस पर अंतर्राष्ट में अहिंसा दिवस के रुप में मनाया जाता है। इसकी घोषणा 15 जून साल 2007 को संयुक्त राष्ट्र महासंघ ने थी।
- इस दुनिया को शांति और अहिंसा का पाठ पढ़ने में गांधी जी का अहम योगदान हैं। उनकी शिक्षा यही है कि सभी प्रकार के संघर्ष का समाधान अहिंसा से किया जाए।साथ ही इस विश्व में प्रत्येक छोटी बड़ी मुश्किलों का समाधान शांति और अहिंसा से निकाला जाए जिससे एक बेहतर माहौल का निर्माण हो।
- आपकी जानकारी के लिए बता दें कि साल 1930 में इन्हे अमेरिका की प्रतिष्ठित टाइम मैगजीन ने वर्ष का सबसे महत्वपूर्ण व्यक्ति का पुरुस्कार से नवाजा था।
- जानते हैं गांधी जी को राष्ट्रपिता की उपाधि सुभाष चंद्र बोस ने दी थी।
- बहुत से लोगों को लगता है कि गांधी जी भारतीय नोट पर छपी तस्वीर कंप्यूटर से बनी है पर ऐसा बिल्कुल नहीं हैं ये तस्वीर साल 1946 में खींची गई थी। जब गांधी जी बर्मा यानी म्यांमार के और भारत के ब्रिटिश सेक्रेटरी के रूप में कार्यरत रहे फ्रेडरिक पेथिक लॉरेंस से मुलाकात करने गए थे। हालांकि यह तस्वीर किसने ली इसकी जानकारी नहीं हैं।
- देश के पिता और फ्रीडम फाइटर होने के साथ साथ गांधी जी एक महान पत्रकार भी थे। इन्होंने दक्षिण अफ्रीका में रहते हुए इन्डियन ओपियन की शुरू वात की थी इस अखबार के मध्यम से उन्होंने उस दौर में रंगभेद समेत कई मुद्दों को प्रकाशित किया था। इसके अलावा इन्होंने भारत में भी आजादी के लिए अकबर का सहारा लिया था उन्होंने हरिजन, यंग इंडिया जैसे अखबार भी प्रकाशित किए थे।
- गांधी जी ने अपनी आत्मकथा द स्टोरी ऑफ माय एक्सपेरिमेंट्स विथ ट्रुथ (the story of my experiments with truth) में दर्शन और अपनें जीवन के मार्ग के बारे में लिखा है।
- साल 1948 दिन 30 जनवरी नाथूराम गोडसे ने गांधी जी को गोली मारकर हत्या कर दी थी।
निष्कर्ष
उम्मीद करते है आप को अब समज में आ गया होगा कि गांधी जयंती क्यों मनाई जाती है और कब मनाई जाती है और अगर आप गांधी के बारे में विस्तार से जानना है तो मैंने महात्मा गांधी का जीवन परिचय के बारे में विस्तार से लिखा है आप हमारा वो आर्टिकल पढ़े सकते हो