अरुणिमा सिन्हा का जीवन परिचय | Arunima Sinha biography in Hindi

हेलो दोस्तों , कैसे है आप सब आपका हमारे Hindi top वेबसाइट पर मनोभाव और उत्साह से स्वागत करते है । आज हमारे पोस्ट में हम “अरुणिमा सिन्हा का जीवन परिचय (Arunima Sinha biography in Hindi ) ” इस विषय पर हमारे पोस्ट में आपको पूरी जानकरी देंगे। आज की महिला में जितना धैर्य और कौशल है, उसकी प्रशंसा करें उतना कम है। आप कोई भी क्षेत्र ले लो जैसे स्पोर्ट्स, इंजीनियर, डॉक्टर, पायलट, आर्मी आदि जैसे अन्य स्ट्रीम्स में आज महिलाओ ने अपना खुद का पहचान हासिल किया है। आज इस पोस्ट में हम ऐसी ही महिला के बारे में बताएंगे, जिसकी कहानी सुनकर हमारी इच्छाशक्ति जगा देती है। यह महिला है अरुणिमा सिन्हा , जिनके संघर्ष और हौंसले के सामने हमारे छोटे छोटे तकलीफ कुछ भी नहीं है।
Arunima Sinha biography in Hindi
Arunima Sinha के बारे में निचे Points और Information दी हुई है
बिंदु (Points) | जानकारी (Information) |
पूरा नाम ( Full Name ) | अरुणिमा सिन्हा |
जन्म दिनांक (Birth) | 20 जुलाई 1988 |
उम्र ( Age (2021) | 33 |
जन्म स्थान (Birth Place) | अंबेडकर नगर, उत्तर प्रदेश |
पहचान (Identification) | माउंट एवरेस्ट फतह करने वाली पहली भारतीय दिव्यांग |
पति (Husband) | गौरव सिंह |
धर्म (Region) | हिन्दू |
जाति (caste) | कायस्थ |
पेशा (Profession) | पर्वतारोही , वॉलीबॉल खिलाड़ी |
पुरस्कार (Prizes) | पद्म श्री पुरस्कार (2015), तेनजिंग नोर्गे राष्ट्रीय साहसिक पुरस्कार (2015), प्रथम महिला पुरस्कार (2016), मलाला पुरस्कार, यश भारती पुरस्कार, रानी लक्ष्मी बाई पुरस्कार |
ट्विटर पेज (Twitter Page) | https://twitter.com/sinha_arunima |
इन्स्टाग्राम अकाउंट (Instagram Account) | https://www.instagram.com/dr.arunima_sinha |
अरुणिमा सिन्हा कौन है
अरुणिमा सिन्हा एक ऐसी महिला है जिनका ट्रैन एक्सीडेंट में शरीर विकलांग हो गया था और जीवन और मौत से काफी समय तक झूजने के बाद उन्हें नया जीवन मिला था। विकलांग होने के बावजूद इन्होने अपने मन को इतना धैर्य बनाया की अपने आप को इन्होने कभी एक सामान्य इंसान से कम नहीं समझा। अगर आपको इनके बारे में नहीं पता तो हम बतादे की यह भारत की पहली विकलाँग महिला है जिन्होंने माउंट एवेरेस्ट को सफलतापूरक चढ़ाई की थी। इससे पहले वह भारत के राष्ट्रिय स्टार की पूर्व वॉलीबाल खिलाडी रह चुकी है। अरुणिमा का मानना है की मनुष्य को शरीर से अपाहीच होने के बावजूद दिमाग से कभी भी अपाहीच नहीं होना चाहिए। चाहे परिस्थितियाँ कितनी भी खराब क्यों न हो , इंसान सच्चे दिल से चाहे तो क्या कुछ नहीं कर सकता। यदि आप मानसिक रूप से मजबूत है तो पहाड़ो के ऊपर भी अपना रास्ता खोज सकता है।
अरुणिमा सिन्हा का जीवन परिचय
अरुणिमा का जनम 20 जुलाई साल 1988 में उत्तर प्रदेश राज्य के अम्बेडकर नगर में हुआ था। उनका कार्यरत हेड कांस्टेबल के तौर पर केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (CISF ) के पद पर साल 2012 से संक्षिप्त कराया गया था। CISF की परीक्षा देने अरुणिमा 11अप्रैल 2011 में पद्मावती एक्सप्रेस से लखनऊ से दिल्ली जाते समय उनके साथ बड़ी घटना घडी। रात के लगभग एक बजे बरेली के पास कुछ ट्रैन लुटेरे ट्रैन में दाखिल हुए और लोगो के गले के सोने के चैन खींचने लग गए।
यह देख अरुणिमा ने उन्हें रोकने की कोशिश की जिसके वजह से लुटेरे गैंग ने उन्हें चलती ट्रैन से बाहर फेक दिया था। ट्रैन से फेकने पर वह दूसरे ट्रैक पर जा गिरी और उन्हें काफी गहरी चोट आ गई। ट्रैक पर पड़े होते हुए भी उन्होंने उठने की काफी कोशिश की पर वह वही पर घायल पड़ी थी , तभी एक ट्रैन तेज गति से आ रही थी जिसके वजह से उनके दोनों पैर ट्रैक में होने के कारण पूरी तरह से कट गए। आप समज सकते है ऐसी घटना न इस तरह की कल्पना करना भी काफी दर्दनाक और डराने वाला घटना है।
अरुणिमा काफी देर तक चिल्लाते चिल्लाते उनका होश खो गया और वो पूरी तरह से बेजान हो गई , उनका कोई भी अंग काम नहीं कर रहा था।। इतना सब होने के बाद भी जीवन ने उनका साथ नहीं छोड़ा, अभी उनकी साँसे चल रही थी। पुरे दिन वह इसी अवस्था में छीकते चिल्लाती रही और बेहोश हो जाती, दूसरे दिन जब पास के गाओ वालो को खबर पड़ी सबने मिलकर उन्हें अस्पताल लेकर चले गए। डॉक्टर्स भी यह सब देखकर अचंबित रह गए, और उनका पूरा पैर काट दिया गया था। दूसरे दिन ऑपरेशन के बाद जब उन्हें होश आया तो वह काफी रोने लगी , लेकिन बाद में उन्होंने मन में धैर्य रखते हुए इसे क़बूल कर लिया की अगर उन्हें भगवान् यह जीवनदान दिया है तो वह इसे व्यर्थ जाने नहीं देंगी और अपना होंसला बनाए रखा। इसके बाद उनके कार्यरत सरकार को इस दुर्घटना के बारे में मीडिया द्वारा बताया गया तो उन्होंने अनुरिमा को AIIMS अस्पताल में ट्रांसफर कराया था। चार महीनो तक अस्पताल में ज़िन्दगी और मौत के जंग से लड़ने के बाद अनुरिमा ने मौत को मात दे दिया। पैर काटने की जगह उन्हें कृत्रिम पैर लगाया गया और दूसरे पैर में रोड डाली गई थी।
अनुरिमा सिन्हा की उपलब्धिया
21 मई , 2013 में 10 बजकर 55 मिनट पर उन्होंने माउंट एवेरेस्ट की छोटी पर चढ़कर हमारे देश का झंडा लहराया और विश्व की पहली दिव्यांग पर्वतरोही महिला बन गई। माउंट एवेरेस्ट के चोटी पर पहुँचने का समय अनुरिमा ने लगभग 52 दिन का सफर तय किया था। यही नहीं, इसके अलावा अनुरिमा ने दुनिया के सातों महाद्वीपों में चढ़कर अपने देश का तिरंगा लहराया और हमारे देश का गौरव बढ़ाया।
अनुरिमा को मिले पुरस्कार
- साल 2015 में अनुरिमा सिन्हा को भारत सरकार की तरफ से पद्मश्री नाम के पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। हमारे प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने अनुरिमा को “बोर्न एगोन इन थ माउंटेन” का खिताब और अवार्ड दिया गया।
- साल 2016 में अनुरिमा सिन्हा को तेनजिंग नोर्गे नेशनल एडवेंचर अवार्ड दिया गया था।
- साल 2018 में अनुरिमा के योगदान के लिए प्रथम महिला सम्मलेन द्वारा सम्मानित किया गया।
- उत्तरप्रदेश के निवासी और भारत को गौरव पहुंचाने हेतु उन्हें सुल्तानपुर रत्न अवार्ड से सम्मानित किया गया।
- साल 2016 में अनुरिमा को अम्बेडकरनगर महोत्सव समिति की तरफ से आंबेडकर रत्न से नवाजा गया था।
अनुरिमा जी गरीबो और दिव्यांगों की सहायता हेतु शहीद चंद्रशेखर आजाद विकलांग खेल अकादमी के नाम से एक संस्था भी चलती है।
निष्कर्ष
हमारे इस आर्टिकल “अरुणिमा सिन्हा का जीवन परिचय (Arunima Sinha biography in Hindi)” को अंत तक पढ़ने के लिए धन्यवाद्। हमें आशा है आपको हमारी दी गई जानकारी से हमारे देश की अनुरिमा सिन्हा को जानने का मौका मिला। अगर आपको हमारे इस पोस्ट में कोई सुझाव देनी हो तो पोस्ट के नीचे दिए गए कमेंट बॉक्स पर आपका कमेंट जरूर दीजियेगा और इस पोस्ट को लाइक, शेयर और कमेंट जरूर करियेगा , इससे हमे और नए और अनोखे आर्टिकल्स आप तक पहुंचने की प्रेरणा मिलती है। आप इसी तरह हमारे Hindi Top वेबसाइट को सपोर्ट करते रहिएगा।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
अनुरिमा सिन्हा के प्रेरक शब्द
“अभी तो इस बाज की असली उड़ान बाकी है ,
अभी तो इस परिंदे का इम्तिहान बाकी है !
अभी अभी तो मैंने लांगा है समन्दरों को ,
अभी तो पूरा आसमान बाकी है !”
और “मंजिल मिल ही जाएगी भटकते हुए ही सही। गुमराह तो वो है जो घर से निकले ही नहीं। ”
क्या अनुरिमा सिन्हा की शादी हुई है
अनुरिमा सिन्हा की शादी 21 जून 2018 को गौरव सिंह के साथ हुई थी।