एपीजे अब्दुल कलाम का जीवन परिचय | APJ Abdul Kalam biography in Hindi

हेलो दोस्तों ,कैसे हे आप सब ? हमारे Hindi top वेबसाइट पर आप सभी का स्वागत है। आज हम आपके लिए एक विशेष पोस्ट लेकर आए है, आज हम एक ऐसे व्यक्ति के बारे में बताएंगे जिन्होंने हमारे देश को गौरव और गरिमा के साथ हम सभी देशवासियो का नाम रोशन किया है। हमारे पोस्ट में हम आपको “एपीजे अब्दुल कलाम का जीवन परिचय (APJ Abdul Kalam biography in Hindi )” बताएगे इस विषय में पूरी जानकारी बताएंगे।
भारत के हर एक नागरिक हमारे इन महान शख्सियत से वाकिफ तो होगा ही क्यूंकि हमारे देश में इनका योगदान न कभी भुलाया जाएगा और न ही कभी भूलेगा। श्री अब्दुल कलाम भारत के ऐसे वैज्ञानिक है जिनका बोलबाला देश विदेश में भी काफी चर्चित है। श्री अब्दुल कलाम इतने प्रसिद्द होने के बावजूद एक साधारण जीवन जीते थे, न कोई दिखावा न कोई घमंड। वह एकदम ही सरल और साधा जीवन व्यतीत करते थे और अपने मरने तक उन्होंने अपने सरल जीवन को कायम रखा। श्री अब्दुल कलाम सिर्फ वैज्ञानिक ही नहीं बल्कि हमारे पूर्व प्रेजिडेंट भी रह चुके है। हमारे पोस्ट के जरिये आपको एपीजे अब्दुल कलाम का जीवन परिचय हम विस्तार से बताएं
APJ Abdul Kalam Biography in Hindi
APJ Abdul Kalam के बारे में निचे Points और Information दी हुई है
बिंदु (Points) | जानकारी (Information) |
पूरा नाम ( Full Name ) | डॉक्टर अवुल पाकिर जैनुल्लाब्दीन अब्दुल कलाम |
पिता ( Father Name ) | जैनुलाब्दीन मारकयार |
माता ( Mother Name ) | आशियम्मा जैनुलाब्दीन |
जन्म दिनांक (Birth) | 15 अक्टूबर, 1931 |
मृत्यु (Death) | 27 जुलाई 2015 |
जन्म स्थान (Birth Place) | धनुषकोडी गांव, रामेश्वरम, तमिलनाडु |
शौक (interests) | किताबें पढना, लिखना, वीणा वादन |
धर्म (Religion) | इस्लाम |
पेशा (Profession) | प्रोफेसर, लेखक, वैज्ञानिक |
शिक्षा (Education) | सेंट जोसेफ कॉलेज, तिरुचिरापल्ली; मद्रास इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी |
पुरस्कार (Prizes) | भारत रत्न (1997), पद्म विभूषण (1990), पद्म भूषण (1981) |
श्री डॉ अब्दुल कलाम का प्रारंभिक जीवन
श्री अब्दुल कलाम का जन्म 15 अक्टूबर साल 1931 में तमिल नाडु के प्रान्त रामेश्वरम के छोटे गाँव धनुष्कोडी में हुआ था। श्री अब्दुल कलाम का पूरा नाम डॉ अवुल पाकिर जैनुलआबद्दीन अब्दुल कलाम है। उनके पिता का नाम जैनुलाब्दीन है और माता का नाम अणसीमा है। कलाम जी के पिता अपनी नाव मछुवारे को देकर अपना घर चलाते थे, इसलिए कलाम जी काफी गरीब घर से थे जहां उनके पिता को उन्हें शिक्षा देने के लिए भी काफी मुश्किल था। अपनी शिक्षा को पूर्ण करने के लिए कलाम जी घर घर जाकर अखबार बेचते और उन पेसो से शिक्षा करते। कलाम जी ने अपने पिता से ईमानदारी, अनुशासन , और सादगी में रहने का पाठ सीखा तो माता से ईश्वर के प्रति असीम श्रद्धा रखना सीखा। उनके तीन बड़े भाई और 1 बड़ी बेहेन थी , और इन सभी से कलाम का अनोखा स्नेह था।
श्री अब्दुल कलाम का शिक्षण
अब्दुल कलाम जी की स्कूलिंग उनके ही गाँव रामेश्वरम के धनुष्कोडी के एक एलिमेंटरी स्कूल में हुई थी। साल 1950 में कलाम जी ने बी एस सी की डिग्री तमिल नाडु के सेंट जोसफ स्कूल से पूर्ण की थी। इसके बाद उन्होंने मद्रास इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी (MIT) से एरोनॉटिकल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा पूर्ण किया। बचपन से ही उन्हें पढ़ने का इतना शौक था की वह बाल वर्ष से ही अपने सपने को पूर्ण करने के लिए कमाने लगे थे। इनकी रूचि विज्ञानं क्षेत्र में इतनी थी की उन्होंने बचपन से ही मन बना लिया था फाइटर प्लेन बनाने का और अंतरिक्ष क्राफ्ट बनाने का।
श्री अब्दुल कलाम का वैज्ञानिक जीवन ?
साल 1958 से ही कलाम जी DTD के टेक्नोलॉजी विभाग में वैज्ञानिक के रूप से काम करने लग गए थे। यहाँ पर उन्होंने prototype होवर क्राफ्ट के लिए अपने वैज्ञानिक टीम को तैयार किया। साल 1962 में ISRO में उन्होंने प्रोजेक्ट डायरेक्टर के तौर पर निवेश किया था। यहाँ पर उन्होंने SLV 111 उपग्रह को लांच किया जो काफी सफल हुई थी। साल 1980 में कलाम की वैज्ञानिक टीम ने मिलकर रोहिणी उपग्रह को पृथ्वी की कक्षा में स्तापित किया , जिससे भारत को इंटरनेशनल स्पेस क्लब में मेंबर की तौर पर शामिल किया गया था।
इन्होने बादमे विदेशी उपकरणों का प्रयोग न कर भारत में सरकार से मिले सुविधाओं से अग्नि, त्रिशूल और पृथ्वी जैसे मिसाइल बनाई और इसके बाद से इन्हे मिसाइलमैन का नामकरण मिल गया। साल 1998 में पोखरण में परमाणु का सही उपयोग कर कलाम ने भारत के परमाणु शक्ति को सफल और उच्च स्थान में संरक्षित किया था। भारत के इन महान वैज्ञानिक को उनके निरंतर योगदान की वजह से साल 1981 में भारत सर्कार ने कई राष्ट्र पुरस्कारों में से विशेष भारत पद्मभूषण से नवाज़ा था।
श्री अब्दुल कलाम राष्ट्रपति पद पर
साल 1982 में कलाम जी रक्षा अनुसंधान और विकास संघटन के डाइरेक्टर बन गए। यहाँ से उन्होंने मिसाइल डेवलपमेंट की प्रोजेक्ट का नेतृत्व सफलतापूर्वक अपने टीम मेमबर्स` के साथ शुरू करने का निर्णय लिया। साल 1992 से 1999 तक कलाम जी रक्षा मंत्री के विज्ञानं सलाहकार और सुरक्षा शोध और विकास विभाग के उपाध्यक्ष बन गए। साल 1998 में इनकी उप्लाभ्दिया देख इन्हे भारतीय रक्षा के क्षेत्र में योगदान के लिए भारत रत्न से नवाज़ा गया था।
18 जुलाई , साल 2002 में भारतीय जनता पार्टी तहत कलाम जी को उम्मीदवार बनाया गया और इन्होने राष्ट्रपति के पद की शपत ली। इन्हे 90% वोट्स से जीतकर राट्रपति का पद संभाला। इस पद पर इन्होने बिना कोई राजनीती में सम्मेलन होते हुए भारत के कार्यालय को संभाला। साल 2007 में राट्रपति की पद को पूरा करके उन्होंने देश के संविधान में अपने भारत का नाम उच्च किया।
राष्ट्रपति का पद छोड़ने के बाद कलाम जी इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ साइंस एंड टेक्नोलॉजी तिरुवनंतपुरम के हेड चांसलर बन गए, इसके अलावा वह अपना कुछ समय निकलकर एना यूनिवर्सिटी के एयरोस्पेस इंजीनियरिंग कॉलेज में स्टूडेंट्स को पढ़ाया भी करते थे और विजिटिंग प्रोफेसर के तौर पर कई कॉलेजेस से इनको देश विदेश में बुलाया भी जाता था और उन्हें स्टूडेंट्स को मोटीवेट करना काफी पसंद था। स्टूडेंट्स भी इनके स्पीच को काफी प्रेरित होकर शामिल होते थे |
श्री अद्बुल कलम के लिखे हुए किताबें
अपने अंतिम चरण में कलाम जी ने कई किताबो को लिखा और यह बुक्स काफी युवाओं को प्रेरित करती है , हमारे देश में हम युवाओ की बात करें तो उनके आदर्श अब्दुल कलाम जी ही है। उनके कुछ प्रचलित किताबें थी जिन्हे आप भी पढ़ सकते है – इंडिया 2020 – ए विशन फॉर थे नई मिललेनियम, विंग्स ऑफ़ फायर, इग्नाइटेड माइंड, मिशन इंडिया, माई जर्नी, यू आर बोर्न टू ब्लॉसम, थी लुमिनस स्पार्क यह कुछ प्रशंसनीय किताबें है जिन्हे मेने खुद पड़ा है।
श्री एपिजे अब्दुल कलाम की मृत्यु
अब्दुल कलाम जी साल 2015 में IIM शिल्लोंग में बतौर प्रोफेसर और मोटिवेशन स्पीच के लिए आमंत्रित किये गए थे। 27 जुलाई साल 2015 के दिन जब वह स्पीच दे रहे थे तब उनकी तबियत अचानक ख़राब हो गई और वह नीचे गिर पड़े। उन्हें पास के अस्पताल में एडमिट कराया गया था और उसी दिन उन्होंने अपनी अंतिम सांस ली और दुनिया को अलविदा कर दिया। मृत्यु के बाद 28 जुलाई को उन्हें गुवाहाटी से दिल्ली लाया गया और यहाँ सारे नेताओ ने उन्हें श्रद्धांजलि दी। उसके बाद उन्हें एयरबस द्वारा अपने गाओ रामेश्वरम में 30 जुलाई को अंतिम संस्कार कराया गया।
निष्कर्ष
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