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Ahilya Bai Story in Hindi | अहिल्या बाई का जीवन परिचय

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हेलो दोस्तों, कैसे हो आप सब ? हम आशा करते है आप हमेशा स्वस्थ और मस्त रहे। नवरात्री अवसर पर हमारी तरफ से आपको ढेर सारी बधाइयां और इस त्यौहार के अवसर पर जो माँ दुर्गा की पूजा की जाती है , जो नारी शक्ति का प्रतिक है आज उसी शक्ति यानी आज एक ऐसी रानी का परिचय हम आपसे कराएंगे जिन्होंने राजाओं के काल में कई शत्रुओं को मात भी दिया और एक आदर्श पत्नी के रूप में अपना कर्त्तव्य भी निभाया। हम आपके लिए ऐसे ही हमारे देश की गर्व बढ़ाने वाली नारी की कहानी विस्तार में इस पोस्ट के जरिये बताएंगे। जी हाँ आज हमारा विषय “रानी अहिल्या बाई का जीवन परिचय ( Ahilya Bai Story in Hindi )” इनके बारे में हम सारांश से अपने आर्टिकल में आपको बताएंगे।

अहिल्याबाई होलकर का इतिहास ( Ahilya bai history in Hindi )

प्राचीन काल से ही महिलाओ को पुरुष के मुकाबले कम का दर्जा मिला है, उनके हौसले दबाए गए है, यहाँ तक की सिर्फ पुरुषो को राज्य सँभालने का अधिकार दिया जाता था। इसके बावजूद कुछ महिलाओ ने इन कठिनाओ को हराकर इन बंधनो को तोडा है। आज भी 20वि सदी में भी कई लड़कियों को पढ़ाया नहीं जाता, उन्हें सिर्फ घर के काम करने के लिए कहा जाता है लेकिन ये आंकड़े काफी कम हो गए है पहले काल के मुताबिक। आज आदमियों में भी इतनी समझ आ गई है की वह अपने बेटियों, बहुओं, बहेनो को पढ़ा रहे है, उन्हें कुछ बनने का हौसला दे रहे है। ऐसे पुरुष जो महिलाओ को प्रोत्साहन देते है, उन्हें में जिसका आर्टिकल आप पढ़ रहे है उन्हें दिल से सलाम करती हु। चलिए हम आपको ऐसी ही नारी शक्ति के जीवन की और ले जाएंगे जिन्होंने हमारे देश का सम्मान बढ़ाया है।

अहिल्याबाई होल्कर का जन्मस्थान

रानी अहिल्याबाई होल्कर का जन्म महाराष्ट्र के गांव चौंढी में 31मई साल 1725 में हुआ था। अहिल्याबाई के पिता का नाम मानकोजी शिंदे और माताजी का नाम सुशीला शिंदे था। आहिल्याबाई के पिता एक महान विद्वान् थे जो उस समय के दौर में काफी अलग सोच रखते थे, यही कारण है की उन्होंने अपनी बेटी को कभी पुरुष के भाती भेदभाव नहीं किया और उन्हें हमेशा आगे बढ़ने की प्रेरणा दी। उनके पिताजी ने उन्हें उस समय शिक्षा दी तब लड़कियों को घर से बाहर नहीं निकलने दिया जाता था, इसके अलावा उन्होंने अपनी बेटी को एक निडर इंसान बनाया।

आहिल्याबाई का विवाहित जीवन

एक बार राजा मल्हार राव होल्कर पुणे जा रहे थे, जब वह उस गाँव में विश्राम कर रहे थे तब उनकी नज़र अहिल्याबाई पर पड़ी थी। अहिल्याबाई उस समय गरीबों की मदद करते देख उनका मन भावुक हो गया और उन्होंने अहिल्या बाई के पिता से अपने बेटे से विवाह करने की अनुमति मांग ली थी। उनका विवाह महज़ 13 वर्ष में करा दिया गया था और उनके पति भी कम उम्र के थे। उनके पति का नाम था खंडेराव होल्कर, इन्होने कुछ सालों बाद राज गद्दी संभाली और उनके कार्यो में अहिल्याबाई ने काफी मदद की थी। शादी के 10 साल बाद 1745 में खंडेराव और अहिल्याबाई ने पुत्र को जन्म दिया और तीन साल बाद साल 1748 में इन्हे एक पुत्री को जन्म दिया। जैसे ही दोनों का जीवन सुखमय व्यतीत हो रहा था तभी साल 1754 में अहिल्या के पति खंडेराव का देहांत हो गया था और अहिल्या काफी टूट गई थी। लेकिन अहिल्याबाई ने हार नहीं मानी और राज्य के कार्यों को अपने हाथ ले लिया। इसके बाद अहिल्याबाई पर एक और कहर टूट पड़ा , साल 1766 में उनके ससुर का देहांत हो गया था। अब यह दर्द से वह उबरी भी नहीं की साल 1767 में उनका बेटा मालेराव की मृत्यु हो गई। इतने परेशानियों से उभरकर वह एक नारी शक्ति के रूप में फिर से इतने परेशानियों के बाद खड़ी हुई और प्रजा की कार्यकर्ताओं को संभाला । अपने राज्य को उन्होंने विक्सित करने का निर्णय ले लिया और राज्य के कार्य कर्ताओं में पूरी तरह से जुड़ गई ।

अहिल्याबाई की कहानी ( Ahilya Bai Story in Hindi )

रानी ने जब राज्य शासन को संभाला, उन्होंने अपने कार्यो से कई राजाओ पर विजय प्राप्त की। राजाओ ने गरीबों पर अत्याचार इतने किये थे उस समय, गरीब लोग अन्न को भी तरस जाते थे। तब अहिल्याबाई ने नई योजनाए गरीबों के हित में बनवाई जिसमे उन्हें तीन समय का खाना मुफ्त में मिले और यह योजना काफी राजाओं के विरोध के बाद भी अहिल्याबाई ने सफल योजना के रूप में गरीबों तक लागू कराया।

इसके बाद उन्होंने भारत में अंग्रेज़ों और मुग़ल शासन से बिना डरे कई तीर्थ स्थलों पर मंदिर बनवाई और कुवों का निर्माण किया। यही नहीं इन्दौर शहर से आहिल्याबाई को अलग ही लगाव था, इसलिए उन्होंने इस शहर में काफी विक्सित करने के लिए जी जान लगा दिया। यही वजह है, की कृष्णपक्ष चतुर्दशी पर अहिलयोस्तव आज भी धूमधाम से मनाया जाता है।

आहिल्याबाई एक निडर और कुशल प्रशासक थी और बुद्धिमानी से कठिन परिस्थिति में भी रास्ता निकाल लेती थी । साल 1767 में मल्हार राव के दत्तक पुत्र तुककोजी राव को मालवा का सेनापति बनाया, जब एक राजा राघोवा ने मल्हार राज्य पर युद्ध के लिए ललकारा तब अहल्याबाई ने अपने सेनापति तुकोजी को लेकर युद्ध को अंजाम देने के लिए एक तरकीब बनाई ।

युद्ध आयोजन से पहले रानी ने राघोवा को पत्र लिखा की अगर रानी उनसे युद्ध में हारती है तो पुरे राज्य में शोक बनाया जाएगा की एक महिला को हराकर इस युद्ध को अंजाम दिया गया है और अगर रानी यह युद्ध जीतती है तो भी यह बात फ़ैल जाएगी की राजा एक महिला से युद्ध हार गए। यह पत्र रानी का पढ़कर राघोवा सोच में पढ़ गया और युद्ध से पीछे हैट गया, यह रानी की युक्ति काफी अच्छा निर्णय उनके लिए साबित हुआ। इसके बाद उन्होंने 500 महिलाओ का सेना बनवाई और इस संघटन से चंद्रावत राजा को हराया गया।

अपने प्रजा पर उन्होंने अपने मृत्यु तक शासन किया और अपने प्रजा के बीच उन्होंने भक्तिभाव से लोकप्रियता हासिल की। उन्होंने देश के सभी प्रमुख मंदिरों का संघटन किया जिनमे काशी, गया, हरिद्वार, मथुरा, बद्रीनाथ, रामेश्वर, जगन्नाथपुरी जैसे प्रचलित मंदिर शामिल है। इसके अलावा रानी ने सराय और धर्मशालाओ का निर्माण किया और इसी प्रकार लोगो का प्यार हासिल किया। रानी ने इतने राजाओं को युद्ध में हराया की कोई भी उनके शासन पर आँख गाड़ने से पहले 100 बार सोचता था। यह थी रानी अहिल्या की छवि उनके दुश्मनो के सामने , यही नहीं उनके राज्य के सभी लोग उन्हें देवी माँ की तरह पूजते थे क्यूंकि रानी थी ही इतनी दयावान और दानी। उन्होंने सनातन हिन्दुओं के लिए कई योगदान दिए और हिन्दू धरम की रखवाली की।

रानी अहिल्या बाई की मृत्यु

साल 1795 में रानी अहिल्याबाई की मृत्यु हुई, और फिर उनकी बहु कृष्णा बाई होल्कर ने उनकी स्मृति हेतु महेश्वर में एक किल्ले का निर्माण कराया जिसे आज हम महेश्वर फोर्ट कहते है।

इसी प्रकार एक स्त्री की शक्ति ने और भी महिलाओ को बादमे प्रेरित किया, इनकी कहानी से कई सारी लड़कियों को उनके गाओ में शिक्षा मिला। आज आप कई सारे महिलाओ को देख सकते है जिन्होंने अपने जीवन में कौशल और अभिमान से ऊंचा मुकाम अपने लिए बनाया है।

निष्कर्ष

हमें आशा है आपको यह आर्टिकल से रानी अहिल्या बाई की जीवन परिचय ( Ahilya Bai Story in Hindi ) की जानकारी प्राप्त हुई हो। इसी प्रकार आपके लिए हम नए नए आर्टिकल अपने हिंदी टॉप वेबसाइट पर लाते रहेंगे। आपको अगर यह पोस्ट से जुडी कोई भी सवाल हो तो इस पोस्ट के नीचे दिए गए कमेंट बॉक्स पर आप पूछ सकते है। आपको हमारे आर्टिकल अगर अच्छी लगी हो तो प्लीज इसे लाइक और शेयर जरूर करिये, इससे हमें नए नए आर्टिल्स लिखने में प्रेरणा मिलती है। हमारे इस पोस्ट में हमारे साथ अंत तक जुड़ने के लिए धन्यवाद्।


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sona arumugam

मेरा नाम सोना अरुमुगम है , पेशे से इंजीनियर👩‍💻 दिल से लेखक हुँ।❤✍ मेरे ब्लॉग सिर्फ शब्द नहीं हैं वो मेरे विचार हैं📖💫 मैं सुरत शहर से ताल्लुक रखती हूं ।

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